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बहुत सुन्दर !! आदरणीय विजय भाई आये दिन ये प्रायोजित बहस सुनना -देखना पड़ता है , जिसका कभी किसी पर असर होते नही दीखता , और न ही ऐँकर का उद्देश्य सच जानना ही होता है ! रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
//क्योंकि मूर्ख कुछ कह तो देते हैं , विद्वान तो कुछ कह ही नहीं पाते , इसलिए बस बहस ही कर लेते हैं //
सही बात ! सही बात !! :-)))
बहुत ही गहीर बात कही आपने आदरणीय विजय प्रकाशजी. जय-जय !!..
आदरणीय विजय सर ..बहुत बढ़िया कटाक्ष हुआ है ,,आपको हार्दिक बधाई सादर
हा हा बहुत बढ़िया आदरणीय. विजय शंकर जी । आजकल ये कुछ ज्यादा ही देखने सुनने को मिल रहा है .बधाई आपको, सादर
अच्छा कटाक्ष है ...बहुत से मूर्खों के बयानों और बहुत सी बहसों में सचमुच टीवी से अलगाव पैदा कर दिया है
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