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बहुत बहुत बधाई आ.विजयशंकर जी ,,,काफी गहराई है आपकी कविता में |
बहुत गहन व् सारगर्भित प्रस्तुति, आदरणीय डा.विजय जी. बधाई स्वीकारें
जहाँ तक मुझे लगता है निर्भया कांड पे आने वाली डोक्युमेंटरी और उसमें जाहिर की गई भावना को आप ने गुलाब के माध्यम से शब्द दिए हैं |समसामयिक विषय पर इस प्रकार लिखना आपकी रचना की जीवन्तता का परिणाम है |अभी नागर्जुन दादा को पढ़ रहा था कुछ-कुछ वैसी ही सीधी सरल भाषा है इस कविता की --बधाई
मुबारक हो, मुबारक हो ॥
आ. डॉ विजय शंकरजी!
अत्यंत समसामयिक एवम सारगर्भित प्रस्तुति पर अनगिनत बधाई ,आपने होली में यह तूफानी कलम चलाई।
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