For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये नाम-करण कैसे हुआ -- डॉo विजय शंकर

नाम , नाम , नाम ,
नाम से तो यश है,
गौरव है , शान है,
व्यक्ति यशस्वी है,
जीते जी महान है ,
तदोपरांत पूज्य है,
वंदन है , गान है |
कितने नाम हमने दिए ,
कितने महान पैदा किये ,
देव है, पिता है, चाचा है,
भाई जी,ताऊ ,अम्मायें हैं
देवता कितने संख्य हैं,
नेता कितने असंख्य हैं ,
हम सर्वत्र नतमस्तक हैं ,
पर कितने नगणय हैं ,
सब नाम हमारे अपने हैं ,
नामकरण सब अपने हैं ,
मदर इंडिया फिल्म बनी ,
इंडियाज़ डॉटर कौन बनी ,
आयोजन इसका नहीं होगा ,
स्मृति - कलश भी नहीं होगा ,
ये नाम-करण कैसे हुआ ,
देश में नहीं,विदेश में हुआ ,
नाम के साथ यह प्रश्न रहेगा ,
उत्तर हो न हो पर प्रश्न रहेगा ,
इस नाम को कोई कैसे भूलेगा ,
ये नाम तो बस रह गया ,रहेगा ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 10:23am
रचना की स्वीकृति के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2015 at 9:28am

एक नए गंभीर मुद्दे को केन्द्रित कर लिखी गई कविता सोचने पर विवश करती है बहुत खूब हार्दिक बधाई  आदरणीय 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 11:58pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , क्या कहें , सादर।
सही कहा आपने ,
तथ्य और सत्य दोनों दबे रहें ,
हमारी चैन की बांसुरी बजती रहें ,
न कोई बाधा हो कोई विघ्न न रहें ,
घोर दुःख तो यह है ,
तथ्य और सत्य एक अपराधी बता रहा है ,
व्यवस्था कुछ और करे न करे , रोक लगा रही है ,
सजा याफ्ता सांस्कृतिक नियम बता रहा है ,
बता रहा है,संभल कर रहो , दरबे में रहो ,
दब कर रहो, वरना हम सजा देंगें , दे भी दी ,
हम हल ढूंढना दूर , सवाल छुपा रहें हैं ॥
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 8, 2015 at 1:10pm

आ० विजय सर

इन्टरनेट के सौजन्य से पूरी डाक्यूमेंटरी देखी i  जिस घटना न देश में जागृति उत्पन्न की  वह सर्वोच्च न्यायालय  रूपी अधर में लटकी है i इस देश का क्या हो सकता है i iआदरणीय  सर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 1:04pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी ,रचना आप को पसंद आई, उसे सार्थकता मिली, आभार, आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 1:02pm
प्रिय जीतेन्द्र जी , आपकी दृष्टि पड़ी , रचना को भाव मिला , सार्थकता मिली, आभार, आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:21pm

देवता कितने संख्य हैं,
नेता कितने असंख्य हैं ,
हम सर्वत्र नतमस्तक हैं ,
पर कितने नगणय हैं ,.....दिमाग को सोचने पर मजबूर करती ,बहुत सुन्दर रचना आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:37am

पहले आपकी रचना ,फिर आपका प्रतिउत्तर पढ़ा. दोनों सराहनीय है आदरणीय डा.विजय जी. इस गहन लेखन पर आपको हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ.  सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 7, 2015 at 9:47pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी ,

मान्यवर ,
आज का सबसे गंभीर विषय है यह , राष्ट्रीय स्तर पर तूफ़ान खड़ा कर देने वाला विषय है यह , हमारी पूरी व्यवस्था , सोंच को नए तरीके से झकझोर देने वाला विषय है यह।
बी बी सी द्वारा बनाई गयी
एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म है यह।
रोज ख़बरों में है यह।
एक विचार , एक चुनौती है यह,
सोचना पड़ेगा , ऐसा है कुछ यह।
एक निवेदन है यह ,
किसी की पूरी जिंदगी , आशा ,
लाज , लज्जा , अस्तित्व है यह।
शायद एक दबी हुई सिसकी है यह।
आपकी कृपा चाहती है यह।
सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 7, 2015 at 9:23pm

आ० विजय सर 

कौन है इंडियाज डाटर  i यह तो मुझे नही पता i चलो मिलकर खोजते हैं i सादर i शुभ होली i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
13 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service