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गरीबी - उपचार -- डॉo विजय शंकर

किसी ने गरीब को
एक जोड़ी चप्पल दिला दी
किसी ने भूखे को एक वक़्त
शानदार रेस्त्रां में रोटी खिला दी ,
रेस्त्रां के मालिक ने
खाने के पैसे नहीं लिए
कहा , मानवता के पैसे नहीं लगते ,
कुछ इस तरह एक छोटे गरीब ने
एक बड़े गरीब की गरीबी मिटा दी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2017 at 11:35pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी , आपकी उपस्थिति एवं बधाई के लिए आभार और ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2017 at 11:34pm
आदरणीय विजय निकोर जी , रचना पर आपकी उपस्थिति से एक भावुक सी प्रसन्नता की अनुभूति हुयी। आभार , आपकी बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 10:37pm

आ. डॉ. विजय शंकर जी, इस छोटी मगर मारक कविता के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. व्यंग्य एकदम सटीक है. सादर.

Comment by vijay nikore on July 7, 2017 at 12:22pm

इतनी सुंदर संदेशप्रद रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी। ऐसे ही और लिखते रहें, और हम पढ़ते रहें।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 9:12am
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ कुशक्षत्रप जी , आपको रचना पसंद आई , अच्छा लगा , ह्रदय से आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 9:08am
आदरणीय सुनील सरना जी , आपको रचना पसंद आई , ह्रदय से आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 9:01am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपको रचना पसंद आई , पारितोषक मिल गया। आपकी सद्भावनाएँ बहुत ही उत्साह वर्धक होती हैं , ह्रदय से आपका आभार और बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 8:28am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , रचना की स्वीकृति के लिए आभार , शुभ कामनाओ के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2017 at 5:48am
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, छोटी पर गम्भीर रचना। दिल को छूती है। बधाई इस सृजन पर।
Comment by Sushil Sarna on July 3, 2017 at 3:54pm

कुछ इस तरह एक छोटे गरीब ने
एक बड़े गरीब की गरीबी मिटा दी ।

वाह आदरणीय विजय जी वाह ... एक बहुत ही सुंदर और संदेशप्रद प्रस्तुति। हृदयतल से बधाई स्वीकार करें सर।

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