For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गरीबी - उपचार -- डॉo विजय शंकर

किसी ने गरीब को
एक जोड़ी चप्पल दिला दी
किसी ने भूखे को एक वक़्त
शानदार रेस्त्रां में रोटी खिला दी ,
रेस्त्रां के मालिक ने
खाने के पैसे नहीं लिए
कहा , मानवता के पैसे नहीं लगते ,
कुछ इस तरह एक छोटे गरीब ने
एक बड़े गरीब की गरीबी मिटा दी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2017 at 11:35pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी , आपकी उपस्थिति एवं बधाई के लिए आभार और ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2017 at 11:34pm
आदरणीय विजय निकोर जी , रचना पर आपकी उपस्थिति से एक भावुक सी प्रसन्नता की अनुभूति हुयी। आभार , आपकी बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 10:37pm

आ. डॉ. विजय शंकर जी, इस छोटी मगर मारक कविता के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. व्यंग्य एकदम सटीक है. सादर.

Comment by vijay nikore on July 7, 2017 at 12:22pm

इतनी सुंदर संदेशप्रद रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी। ऐसे ही और लिखते रहें, और हम पढ़ते रहें।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 9:12am
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ कुशक्षत्रप जी , आपको रचना पसंद आई , अच्छा लगा , ह्रदय से आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 9:08am
आदरणीय सुनील सरना जी , आपको रचना पसंद आई , ह्रदय से आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 9:01am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपको रचना पसंद आई , पारितोषक मिल गया। आपकी सद्भावनाएँ बहुत ही उत्साह वर्धक होती हैं , ह्रदय से आपका आभार और बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 5, 2017 at 8:28am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , रचना की स्वीकृति के लिए आभार , शुभ कामनाओ के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2017 at 5:48am
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, छोटी पर गम्भीर रचना। दिल को छूती है। बधाई इस सृजन पर।
Comment by Sushil Sarna on July 3, 2017 at 3:54pm

कुछ इस तरह एक छोटे गरीब ने
एक बड़े गरीब की गरीबी मिटा दी ।

वाह आदरणीय विजय जी वाह ... एक बहुत ही सुंदर और संदेशप्रद प्रस्तुति। हृदयतल से बधाई स्वीकार करें सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service