पत्नी चालीसा
जय जय जय पत्नी महरानी
महिमा आपकी किसी ने न जानी
जबसे घर में व्याह के आई
मची हुई हे खीचातानी
जय जय जय पत्नी महरानी
सास ससुर भये भयभीत
देवर ननद से जुडी न प्रीत
घर की बन बैठी तुम आका
फहरा दी हे विजय पताका
भोली भली दिखती थी आप
निकली बहुत सायानी -------
जय जय जय पत्नी महरानी
बक्त बेबक्त आपका डसना
भूल गए हम खुलकर हँसना
आजदी में लग गया बट्टा
बांध लिया गले में पट्टा
नतमस्तक हुए हम, करें आप मनमानी
जय जय जय पत्नी महरानी
हर दम आपका भय सताये
सपने में भी हमें डराये
घर में कभी चेन न पाए
शादी करके हम पछताये
खुस थे हम शादी करके, पर ये तो हे कुर्बानी
जय जय जय पत्नी महरानी
हरदम आपके हुक्म बजाएं
फिर भी नाकारा कहलायें
तत्पर रहे खिदमत में आपकी
फिर भी आपको जीत न पायें
जोरू के गुलाम हुए हम
हो गए पानी पानी
जय जय जय पत्नी महरानी
Dr.Ajay Khare Aahat
Comment
so nice.......thanks
मधुर हास्य बिखेरते इस गीत पर सादर बधाई स्वीकारें आद. अजय जी.
आदरणीय लाक्स्मन जी आपके आदेश का पालन करने की कोशिश करूँगा बस आप इसी तरह होसला अफजाई करते रहे
जब से जयजय गान हुआ एक का
जय हो
बधाई
jawahar lal ji thanks for liking my rachna
जोरू के गुलाम हुए हम
हो गए पानी पानी
जय जय जय पत्नी महरानी
अच्छी हास्य रचना!
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