Comment
कविता के पंक्तियों के शब्द प्रवाह ने पूरा सजीव चित्र उकेर दिया आखों के सामने, बहुत खूब व्यंग.
aap sabhi ko hosla afjai ke liye sadhubad
आदरणीय डॉ. अजय, नमस्कार!
बहुत ही सुन्दर कविता! उल्लेखनीय पंक्तियाँ - बोला मेरा आशय .भ्रष्ट लोगो से हे
.आप नाहक हंगामा करने पर तुले हे
आप खुद पर न ले .आप तो दूध के धुले है.... बहुत खूब!
जय हो भाई
क्या खूब भिगो के मारा है :)))))))))))
वाह वाह क्या बात है सुन्दर कटाक्ष किया है एक दम दुरुस्त आप तो दूध के धुले है
बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अजय जी
rajesh ji Sadhubaad
वाह जी बढि़या लिखा है
Pradeep ji rukhi sukhi miley bas isi me bhalai desh ke thekedaar bas kha rahe malai
Manniya Pradeep ji hosla Afjai ke liye sadhubaad
सुन्दर रचना
स्वीकारें बधाई
इससे पहले बताएं
कहाः गयी मलाई
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online