"प्रयास” के प्रिय रचनाकारों व पाठकगण
कनाडा से प्रकाशित हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका “प्रयास” का सप्तम (अगस्त 2013) अंक ’स्वाधीनता दिवस विशेषांक’ के रूप में विश्व में रह रहे कोटि-कोटि भारतीयों को पूरे आदर के साथ समर्पित है। हमें पूरा विश्वास है कि समस्त हिंदी प्रेमियों को यह अंक पसंद आयेगा।
इस अंक के लिये हमने हिंदी के कवियों व गीतकारों से ’राष्ट्रभक्ति गान/काव्य’ एक प्रतियोगिता के रूप में आमंत्रित किये थे। हमें इतनी सारी रचनाएँ प्राप्त हुईं कि उन सभी को समेटना असंभव हो गया। आप पत्रिका में पढ़ेंगे कि लगभग सारी पत्रिका राष्ट्रभक्ति गान/काव्य से परिपूर्ण है। पाठकों, हम आपके राष्ट्र प्रेम, हिंदी प्रेम और “प्रयास” के प्रति प्रेम से अभिभूत हैं और इतनी सारी रचनाएँ भेजने के लिये धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। अब आप से प्रार्थना है कि जिस किसी एक कवि की रचना आपको सबसे अधिक पसंद आई, उसे हमारी वैब साइट www.vishvahindisansthan.com पर कवि के नाम तथा कविता के शीर्षक के साथ पोस्ट कर दें अथवा prayaspatrika@gmail.com पर ई-मेल कर दें अथवा फ़ेसबुक पर मैसेज करदें। जिस कवि को आप सबसे अधिक पसंद करेंगे, उसे हम 501 रुपये नकद या बराबर राशि तथा ’विश्व हिंदी संस्थान’ कनाडा की ओर से एक प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित करेंगे।
“प्रयास” को कैसे पढ़ें
आप ’प्रयास” के इस अंक को www.vishvahindisansthan.com/prayas7 पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं। पेज को बड़ा-छोटा करने की सुविधा पेज पर ही उपलब्ध है। पेज की बायीं तरफ़ नीचे (+) व (-) चिन्ह वाले लैंस हैं, उन पर क्लिक करेंगे तो पेज/फ़ांट बड़े-छोटे हो जायेंगे। हर एक पेज पर भी ऊपर की ओर एक + व – चिन्ह का बटन है, आप अपना पेज व फ़ांट उससे भी बड़े-छोटे कर सकते हैं। तो पढ़ जाइये १ से ४८ तक हर पन्ना और फिर बताइये, कैसी लगी विश्व के तमाम हिंदी प्रेमियों को हमारी और आपकी ये मिलीजुली भेंट - “प्रयास”।
कृपया अधिक से अधिक हिंदी प्रेमी मित्रों को यह लिंक फ़ार्वर्ड कर विश्व के हर हिंदी प्रेमी तक इस “प्रयास” को पहुँचाने में अपना योगदान करें।
प्रो. सरन घई, संपादक “प्रयास” व संस्थापक, विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा
Comment
आ. प्रो. घई साहिब प्रयास के सफल कुशल संपादन और प्रचार प्रसार के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें आपके सद्प्रयास हिंदी की सेवा में अभिवृद्धि में मील के पत्थर हैं !!
आदरणीय सरन जी!
हिंदी के विकास हेतु जो अनन्य प्रयास आप कर रहे है, वह बहुत खूबसूरत पत्रिका का रूप लेकर हम सबके समक्ष है|
आपकी आभारी हूँ की आपने मेरी रचना को इस अंक में स्थान दिया|
हार्दिक शुभकामनायें !!
आदरणीय सरन जी आपके अथक प्रयास से इस प्यास का परचम लहराता रहे । यही हमारी व हमारे देश वासियों की ओर से शुभकामना है । सादर ।
हिन्दी की उन्नति के लिये आपके प्रयास के लिये साधुवाद !!!
आदरणीय घई साहब! बहुत ही सुन्दर आयोजन रहा यह! मेरी रचना को इस अंक में आपने स्थान दिया, इसके लिए आपका हार्दिक आभार!
सादर!
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