फ़ाएलुन / फ़ाएलुन / फ़ाएलुन / फ़ाएलुन |
212 // 212 // 212 // 212 |
मोतिओं की तरह जगमगाते रहो | |
बुलबुलों की तरह चहचहाते रहो | |
जब तलक आसमां में सितारें रहे | |
ज़िंदगी भर सदा मुस्कुराते रहो | |
इन फ़िज़ाओं में मस्ती सी छा जाएगी | |
अपनी ज़ुल्फ़ों की ख़ुश्बू उड़ाते रहो | |
हम भी तो आपके जां निसारों में है | |
क़िस्सा ए दिल हमें भी सुनाते रहो | |
देखना रोशनी कम न होवे कहीं | |
इन चराग़ों की लौ को बढ़ाते रहो | |
इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुझे | |
दोनों हांथों से सब को लुटाते रहो | |
रंगे गुल रुख़ पे हर दम नुमाया रहे | |
जब निगांहे मिले मुस्कुराते रहो
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Comment
आदरणीय सलीम जी
अच्छी ग़ज़ल पर बहुत बहुत मुबारकबाद
thanks lot MAHIMA SHREE ji
वाह बहुत खूब .. खुबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई /
janab शिज्जु शकूर ji aapka dili shukriya..
aadarniya ..badi bahan coontee mukerji ji aapka dili shukriya
Shyam Narain Verma JI BAHUT BAHUT SHUKRIYA
बहुत खूब जनाब सलीम रज़ा साहब दिली दाद कुबूल फरमायें
सुंदर गज़ल के लिये हार्दिक बधाई.
बहुत सुन्दर गजल। ढेरों दाद कुबूल करें। सादर |
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