For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रमिक दिवस पर श्रमजीवी को आओ शीश झुकाएँ।
बलाक्रान्त शोषित निर्बल को मिलकर सभी बचाएँ।

दुरित दैन्य दुख झेल रहे हैं
सदा मौत से खेल रहे हैं।
तृषा तपन पावस तुसार सह
जीवन नौका ठेल रहे हैं।

हर सुख से जो सदा विमुख हो उस पर बलि-बलि जाएँ।
निर्मित जो करता नवयुग तन,उसे नहीं ठुकराएँ।

आजीवन कटु गरल पी रहे
दुर्धर जीवन सभी जी रहे।
हाँफ-हाँफ कर विदीर्ण दामन
जीने के हित सदा सी रहे।

कर्म निरत गुरु गहन श्रमिक हित अपना फर्ज निभाएँ।
सहोत्साह आगे बढ़ करके सत्वर गले लगाएँ।

नहीं अलसता और विकलता
दर्शाए कृशकाय सहजता।
अस्थिशेष पंजर तन से वह
लहराए नित-नित नूतनता।

अमर कीर्ति के इस वाहक पर नहीं कहर बरपाएँ।
श्रमिक धरा की निर्मल पूँजी उसका मान बढ़ाएँ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 3, 2020 at 7:21pm

भाई सुरेंद्र जी आपके उत्साहवर्धन से मन प्रसन्न हुआ दिल से आभार

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 3, 2020 at 7:20pm

परमादरणीय समर साहब जी सादर अभिवादन आपके उत्साहवर्धन से चौगुना बल मिलता है, दिल से आपका बहुत बहुत आभार

Comment by Samar kabeer on May 3, 2020 at 12:42pm

जनाब डॉ. छोटेलाल सिंह जी आदाब, मज़दूर दिवस पर अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:52pm

आद0 भैया डॉ छोटेलाल सिंह जी सादर अभिवादन। मजदूर दिवस पर मजदूरों को समर्पित बेहतरीन गीत पर बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 2, 2020 at 3:42pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन आपने उत्साहवर्धन किया आपका दिल से आभार

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 2, 2020 at 3:41pm

आदरणीय विजय निकोर जी सादर अभिवादन आपने उत्साह बढ़ाया इसके लिए दिल से आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2020 at 11:17am

आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । श्रमजीवियों पर अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on May 2, 2020 at 7:02am

श्रमदिवस के अवसर पर आपने अच्छी रचना प्रस्तुत की है। बधाई, मेरे मित्र छोटेलाल सिंह जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service