चन्द्रलोक की सारी सुषमा, आज लुप्त हो जाती है।
लोल लहर की सुरम्य आभा, कचरों में खो जाती है
चाँदी जैसी चंचल लहरें, अब कब पुलकित होती हैं
देख दुर्दशा माँ गंगा की, हरपल आँखे रोती हैं।
बस कागज पर निर्मल होती, मीठी-मीठी बातों से।
कल्पनीय चपला जस शोभित, होती हैं सौगातों से।
व्यथित सदा ही गंगा होती, मानव के संतापों से।
फिर कैसे वह मुक्त करेगी, उसे भयंकर पापों से।
एक समय था गंगा लहरें, उज्ज्वल रूप दिखाती थी।
धवल मनोहर रात चाँदनी, गंगा…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on June 1, 2020 at 5:45pm — 5 Comments
श्रमिक दिवस पर श्रमजीवी को आओ शीश झुकाएँ।
बलाक्रान्त शोषित निर्बल को मिलकर सभी बचाएँ।
दुरित दैन्य दुख झेल रहे हैं
सदा मौत से खेल रहे हैं।
तृषा तपन पावस तुसार सह
जीवन नौका ठेल रहे हैं।
हर सुख से जो सदा विमुख हो उस पर बलि-बलि जाएँ।
निर्मित जो करता नवयुग तन,उसे नहीं ठुकराएँ।
आजीवन कटु गरल पी रहे
दुर्धर जीवन सभी जी रहे।
हाँफ-हाँफ कर विदीर्ण दामन
जीने के हित सदा सी रहे।
कर्म निरत गुरु गहन श्रमिक…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on May 1, 2020 at 11:30am — 8 Comments
नव विहान का गीत मनोहर गाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।
मन मराल को कभी मनोहत मत करना ।
हो कण्टक परिविद्ध तनिक भी ना डरना।
गम को भूल सभी से नेह लगाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।
वैर भाव की ये खाई पट जाएगी।
वर्गभेद तम की बदली छँट जाएगी।
बनकर मयार मधुत्व रस छलकाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।
महदाशा रख मर्ष भाव अंतर्मन में
जानराय बन ओज जगाओ जनजन में।
हो भवितव्य पुनर्नव राह बनाता चल।
जीवन में मुस्काता…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on January 1, 2020 at 1:00pm — 8 Comments
प्रतिदिन बढ़ता जा रहा, सामूहिक दुष्कर्म
क्रूर दरिन्दे भेड़िये, क्या जाने सत्कर्म।।1
जाएँ तो जाएँ किधर, चहुँ दिशि लूट खसोट
दानव सदा कुकर्म के, दिल पर करते चोट।।2
आये दिन ही राह में, होता अत्याचार।
छुपे हुए नर भेड़िये, करते रोज़ शिकार।।3
हवसी नर जो कर रहा, सारी सीमा पार।
सरेआम हैवान को, अब दो गोली मार।।4
शैतानों की चाल से, बढ़े रोज व्यभिचार।
रोम-रोम विचलित हुआ, सुनकर चीख पुकार।।5
खूनी पंजे कर रहे,…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on December 3, 2019 at 7:30am — 4 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 1, 2019 at 1:00pm — 4 Comments
व्यथित हृदय
अनुपम सृजन सृष्टि की बेटी
बेटी को ना ठुकराएं।
प्यार मुहब्बत की निधि बेटी
हाथ बढ़ाकर अपनाएं।।
बेटी अगर अनादृत होगी
जग कलुषित हो जाएगा।
आन मान सम्मान धरा पर
कहीं नहीं बच पायेगा।।
मृदुल भाव मधु सदृश बेटियाँ
जग रोशन नित करतीं हैं।
अंतर्मन के हर विषाद तम
सुखद अमिय रस भरतीं हैं।।
सस्मित सुरभि लुटाकर हर पल
जग मधुमय कर देतीं हैं।
सदा अंक में प्रदीप्त करके
हर बाधा हर लेतीं…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on September 27, 2019 at 7:05pm — 7 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on September 14, 2019 at 8:15pm — 4 Comments
*करगिल विजय*
वज्रपात कर दुश्मन दल पर, सबक सिखाया वीरों ने
किया हिन्द का ऊँचा मस्तक, करगिल के रणधीरों ने
हर खतरे का किया सामना, लड़ी लड़ाई जोरों से
पग पीछे डरकर ना खींचे, बुझदिल और छिछोरों से l
धीर वीर दुर्गम चोटी पर, कसकर गोले दागे हैं
बंकर चौकी ध्वस्त किये सब, कायर कपूत भागे हैं
किये हवाई हमला भारी, धूर्त सभी थर्राए हैं
अरि मस्तक को कुचल-कुचल कर, अपना ध्वज लहराए हैं l
जब-जब दुस्साहस करता है, दुश्मन मारा जाता है
सरहद का…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on July 26, 2019 at 7:37pm — 3 Comments
ध्यान योग
ध्यान योग सबको करना है
असमय मौत नहीं मरना है
तन मन स्वस्थ योग से होगा
अमल किया जो हर सुख भोगा ll
योग ज्योति मिल सभी जलाएं
रोग शोक से मुक्ति दिलाएं
योगाचार सभीं अपनाएं
बचपन से ही योग कराएं ll
योगागम दुख दूर करेगा
विषम घड़ी से मनुज बचेगा
योगवान योगित हो जाएं
जीवन में नव निधि को पाएं ll
घातक रोग योग से भागे
संकट मिटे जहाँ नर जागे
योगाश्रम हर दिन जो जाये
सकल सीख योगी से पाये…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on June 21, 2019 at 7:50am — 2 Comments
मौजूँ मत
राजनीति की दूषित दरिया,मिलकर स्वच्छ बनाएं
मतदाता परिपक्व हृदय से,अपना फर्ज निभाएं ll
माननीय बन वीर बहूटी,नित नव रूप दिखाएं
ये बर्राक करें बर्राहट ,इनको सबक सिखाएं ll
किरकिल सा बहुरूप बदलते,झटपट चट कर जाते
ये बरजोर करें बरजोरी, खाकर नहीं अघाते ll
वक्त आ गया समझाने का,अब इनको मत छोड़ो
सेवक नहीं बतोला बनजी, दोखी दंश मरोड़ो.ll
हर मत की कीमत को समझें,है मतदान जरूरी
बूथों पर मौजूँ मत करके, इच्छा…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on April 28, 2019 at 1:14pm — 5 Comments
भीमराव बहुजन के त्राता
जनजीवन के भाग्य विधाता
सदा विषमता से टकराए
ज्वलित दलित हित आगे आए ll
लड़कर भिड़कर भेद मिटाए
पग पीछे को नहीं हटाए
सहकर ठोकर राह बनाए
तम से गम से ना घबराए ll
बोधिसत्व भारत के ज्ञानी
भारतरत्न भीम हैं शानी
दूर किये अश्पृश्य बुराई
वर्णभेद की पाटे खाई ll
छुआछूत का भूत भगाए
समरसता समाज में लाए
बहुजन हित की लड़े लड़ाई
वंचित को अधिकार दिलाई ll
शोषित कुचले जन के…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on April 14, 2019 at 6:47pm — 8 Comments
हर दिल से स्वागत वंदन है
अभिनन्दन का अभिनन्दन है ll
भारत की आँखों का तारा
जन जन का यह राजदुलारा
वीर पुत्र यह कुलनन्दन है
अभिनन्दन का अभिनन्दन है ll
सिंह गर्जना करने वाला
भारत का वन्दा मतवाला
कण कण का प्यारा कुंदन है
अभिनन्दन का अभिनन्दन है ll
खेद खेद दुश्मन को मारा
सीने पर चढ़कर ललकारा
मातृभूमि का यह चन्दन है
अभिनन्दन का अभिनन्दन है ll
डॉ. छोटेलाल सिंह
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on March 1, 2019 at 8:30am — 8 Comments
गुंजित सब धरती गगन, जन-जन में उल्लास l
दिग्दिगन्त झंकृत हुआ, जन्म लिए रविदास ll1
दर्शनविद कवि सन्त को, नमन करूँ कर जोर l
कीर्ति ध्वजा लहरा रही, कण-कण में चहुँ ओर ll2
कर्मनिष्ठ प्रतिभा कुशल, सन्त श्रेष्ठ रविदास l
ज्ञानदीप ज्योतित किये, पूर्ण किये विश्वास ll3
सकल सृष्टि वाहक बने, सन्त शान्ति के दूत l
मुखमण्डल रवि तेज से, मिटा छूत का भूत ll4
दुरित दैन्य अस्पृश्यता, जड़ से किए विनाश l
सत्कर्मों के बल सदा , काटे…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on February 19, 2019 at 5:07pm — 4 Comments
व्यर्थ नहीं जाने देंगे हम ,वीरों की कुर्बानी को
चढ़ सीने पर चूर करेंगे,दुश्मन की मनमानी को
माफ नहीं हरगिज करना है, भीतर के गद्दारों को
बनें विभीषण वैरी हित में,बुलन्द करते नारों को ll
अन्न देश का खाने वाले, दुर्जन के गुण गाते हैं
जिस माटी में पले बढ़े हैं, उस पर बज्र गिराते हैं
छिपे हुए कुलघाती जब ये, मिट्टी में मिल जाएंगे
बचे सुधर्मी सरफरोश सब,राग वतन के गाएंगे ll
देश कुकर्मी हठधर्मी को, कर देना बोटी बोटी
उस भुजंग को कुचल मसल…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on February 18, 2019 at 12:00pm — 2 Comments
दोहे
दीप जलाएं मौज से, रखें सदा ही ध्यान
आगजनी होवे नहीं, हरपल हो कल्यान ll 1
दीपों की लड़ियाँ जले, हो प्रकाश चहुँओर
ज्ञान पुंज से हर कहीं, होवें सभी विभोर ll 2
घोर तमस मन का मिटे, जीवन हो खुशहाल
भाई भाई सब मिले, कभी न रखें मलाल ll 3
जगमग दीपक सा बनें, तभी बनेगी बात
निरालम्ब को दीजिए, खुशियों की सौगात ll 4
तम आडम्बर का मिटे, मिटे अंधविश्वास
ज्योतिर्मय जग ये करें, दुख ना आये पास ll…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on November 7, 2018 at 9:30pm — 8 Comments
लौहपुरुष
( आल्हा-वीर छन्द )
लौहपुरुष की अनुपम गाथा,दिल से सुने सभी जन आज
दृढ़ चट्टानी हसरत वाले,बचा लिये भारत की लाज
धन्य हुई गुजराती गरिमा,जहाँ जन्म पाए सरदार
अखंड भारत बना गए जो,सदा करूँ उनकी जयकार
पिता झवेर लाडबा माता,की पटेल चौथी सन्तान
सन अट्ठारह सौ पचहत्तर,पैदा हुए हिन्द की शान
इकतीस अक्टूबर हिन्द में,हम सबका पावन दिन खास
भारतरत्न हिन्द की हस्ती,कण कण को आ किये उजास
खेड़ा जनपद गाँव करमसद,लेवा कृषक एक…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on October 31, 2018 at 1:05pm — 8 Comments
युग द्रष्टा कलाम
युग द्रष्टा कलाम की वाणी
हर पल राह दिखाएगी
युगों युगों तक नव पीढ़ी को
मंजिल तक ले जाएगी ll
बना मिसाइल अपनी मेधा
दुनिया को दिखलाए हैं
अणुबम की ताकत दिखलाकर
जग में मान बढ़ाए हैं ll
सपने सच होते हैं जब खुद
सपने देखे जाते हैं
दुख में जो भी धैर्य उठाये
कलाम सा बन जाते हैं ll
क्लास रूम का बेंच आखिरी
शक्ति स्रोत बन जाता है
गुदड़ी में जो लाल छिपा है
काम देश के आता है…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 16, 2018 at 2:40pm — 7 Comments
आन बान है घर की बेटी
इसको सदा बचाएंगे
बेटी से घर रोशन होता
मिलकर सभी पढ़ाएंगे ll
मन में लें सौगंध सभी जन
नहीं कोंख में मारेंगे
बेटी को खुद पढ़ा लिखाकर
अपना चमन सुधारेंगे ll
भेदभाव बेटी बेटा में
कभी नहीं होने देंगे
बेटी घर की रौनक होती
इसे नहीं रोने देंगे ll
सभी क्षेत्र में बेटी आगे
अपने बल से जाती है
आसमान को छूती बेटी
घर का मान बढ़ाती है ll
दो दो घर बेटी सँवारती
सारी खुशियाँ देती…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 11, 2018 at 5:48pm — 12 Comments
मानवता के अग्रदूत
मानवता के अग्रदूत बन
नववाहक सच्चे सपूत बन
किया स्वप्न तूने साकार
नत मस्तक पशुता बर्बरता
देख अहिंसा का हथियार
तुझसे धन्य हुआ संसार ll
मानवता का ध्वज लहराए
जन जन को सन्मार्ग दिखाए
तेरे दया धर्म के आगे
जग लगता कितना आसार
तुझसे धन्य हुआ संसार ll
नित सुकर्म भरपूर किया है
हर विषाद को दूर किया है
श्रम प्रसूति के बल से बापू
किया चतुर्दिक बेड़ा पार
तुझसे धन्य हुआ संसार…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 2, 2018 at 6:25pm — 12 Comments
जनहित में
अप शब्दों से बचना सीखें
सबके दिल में बसना सीखें
गम की सारी खायी पाटें
हिल मिलकर के हँसना सीखें ll
सुख दुख को सब सहना जानें
छोड़ बैर सब कहना मानें
सहिष्णुता का पाठ पढ़ाकर
भाई जैसा रहना जानें ll
दिल से सबको गले लगाएं
प्रेम मुहब्बत सदा बढ़ाएं
हर गिरते का हाथ पकड़कर
बीच राह में उसे उठाएं ll
ये अपनों से दूरी कैसी
आखिर ये मजबूरी कैसी
अब उसका हक नहीं…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on September 26, 2018 at 11:57am — 8 Comments
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