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जनहित में

अप शब्दों से बचना सीखें

सबके दिल में बसना सीखें

गम की सारी खायी पाटें

हिल मिलकर के हँसना सीखें ll

सुख दुख को सब सहना जानें 

छोड़ बैर सब कहना मानें 

सहिष्णुता का पाठ पढ़ाकर

भाई जैसा रहना जानें ll

दिल से सबको गले लगाएं

प्रेम मुहब्बत सदा बढ़ाएं

हर गिरते का हाथ पकड़कर

बीच राह में उसे उठाएं ll

ये अपनों से दूरी कैसी

आखिर ये मजबूरी कैसी

अब उसका हक नहीं यहाँ पर

भेदभाव बे नूरी कैसी ll

समता मूलक देश बनाएं

घृणित भाव को सभी मिटाएं

एक आँख से सबको देंखें

जनहित में हर कदम उठाएं ll

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by रामबली गुप्ता on October 1, 2018 at 11:06pm

बहुत ही जबरदस्त डॉ साहेब चौपाई छंद में बढियाँ प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2018 at 7:15pm

आदरणीय डॉ साहब बड़ी सुन्दर रचना है..

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2018 at 7:07pm

आदरणीय छोटे लाल जी बहुत सुंदर संदेशप्रद रचना .... हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on September 27, 2018 at 11:27am

बहुत ही खूबसूरत रचना के लिए बधाई, मित्र छोटेलाल सिंह जी

Comment by Mohammed Arif on September 27, 2018 at 11:09am

आदरणीय छोटेलाल जी आदाब,

                      बेहतरीन संदेशप्रद रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on September 27, 2018 at 12:18am

16 ही मात्रा है, मुझसे भूल हुई,'अप' की जगह "आप" पढ़ गया ! क्षमा ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on September 26, 2018 at 6:49pm

परमादरणीय समर साहब जी सादर अभिवादन आपके उत्साह वर्धन से लेखन को बल मिला ,आपकी पैनी नजर से कविता निखर गयी ,आपने17 के मात्रा बताया मैं तो 16 समझकर रखा इसकी खामियां आप ही बता सकते हैं, हम अभी सीखने के दौर में हैं, आपका बहुत बहुत आभार सादर

Comment by Samar kabeer on September 26, 2018 at 6:08pm

जनाब डॉ.छोटेलाल सिंह जी आदाब,अच्छा सन्देश दे रही है आपकी रचना,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'अप शब्दों से बचना सीखें'17 मात्रा ।

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