For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

युग द्रष्टा कलाम

युग द्रष्टा कलाम की वाणी
हर पल राह दिखाएगी
युगों युगों तक नव पीढ़ी को
मंजिल तक ले जाएगी ll

बना मिसाइल अपनी मेधा
दुनिया को दिखलाए हैं
अणुबम की ताकत दिखलाकर
जग में मान बढ़ाए हैं ll

सपने सच होते हैं जब खुद
सपने देखे जाते हैं
दुख में जो भी धैर्य उठाये
कलाम सा बन जाते हैं ll

क्लास रूम का बेंच आखिरी
शक्ति स्रोत बन जाता है
गुदड़ी में जो लाल छिपा है
काम देश के आता है ll

माता पिता और शिक्षक ही
स्वर्णिम देश बनाते हैं
ध्यान रखें जो बाल बृन्द का
वह आगे बढ़ जाते हैं ll

ऐसे नेक विचारों वाले
कलाम युग निर्माता हैं
सच्चे अर्थों में कलाम ही
भारत भाग्य विधाता हैं ll

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 18, 2018 at 12:01pm

वाह अच्छी रचना आदरणीय डॉ साहब..

Comment by Samar kabeer on October 17, 2018 at 5:18pm

जनाब डॉ.छोटेलाल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 17, 2018 at 4:55pm

आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । डा. कलाम की स्मृति में सुंदर दोहे रचे हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 17, 2018 at 12:58pm
आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, सादर अभिनंदन! आपकी रचना बहुत सुंदर और प्रेरणादायी है। बधाई स्वीकार करें।
Comment by Neelam Upadhyaya on October 17, 2018 at 12:00pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, आपने डॉ ए पी जे कलाम साहब के जन्मदिन के उपलक्ष में इतनी सुंदर और प्रेरक प्रस्तुति लिखी।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 16, 2018 at 9:00pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपके उत्साह वर्धन से लेखनी सार्थक हुई आपका दिल से आभार 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 16, 2018 at 8:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी, आपने डॉ ए पी जे कलाम साहब के जन्मदिन के उपलक्ष में इतनी सुंदर और प्रेरक प्रस्तुति लिखी।

सूर्य की तरह प्रकाशित व्यक्तितव के धनी, महान वैञानिक, सच्चे भारतीय, देश की शान,परम आदरणीय कलाम साहब को शत शत नमन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service