For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार से भरपूर हो जाना- ग़ज़ल

 मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

बहुत आसान है धन के नशे में चूर हो जाना, 

बड़ा मुश्किल है दिल का प्यार से भरपूर हो जाना.  

 

अगर वो चाहता कुछ और होना तो न था मुश्किल,

मगर मजनूँ को भाया इश्क में मशहूर हो जाना. 

 

भले दो गज जमीं थी गॉंव में अपने मगर खुश थे, 

नगर में रास कब आया हमें मजदूर हो जाना. 

 

कभी तो आदमी को नारियल होना जरूरी है, 

हमें तो पड़ गया महँगा मियाँ अंगूर हो जाना.   

 

मेरी उल्फत के गुलशन को हिफाज़त की जरूरत है, 

जिया में तुम छुपा रखना भले ही दूर हो जाना.  

 

इबादत है मुहब्बत है यही मकसद यही मंजिल, 

है तुमसे माँग मेरी माँग का सिंदूर हो जाना. 

 

न हो आशीष वीणावादिनी का तो असम्भव है,

किसी का जायसी तुलसी कबीरा सूर हो जाना.

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:35pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:34pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'  जी सादर नमस्कार 

आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ ,

जी नुक्ते मेर्री आदत में अभी नहीं आये हैं, इसी तरह आपके मार्गदर्शन से सीख जाऊंगा, सादर स्नेह बनाये रखें , सादर  नमन 

Comment by नाथ सोनांचली on July 18, 2020 at 4:28pm

आद0 बसंत कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन।अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई निवेदित करता हूँ। सादर

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 16, 2020 at 10:07pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। उर्दू अल्फा़ज़- इश्क़, गज़, ज़मीं, ख़ुश, मज़दूर, ज़रूरी, उल्फ़त, हिफा़ज़त  ज़रूरत, मक़सद, मंज़िल में नुक़ते लगा लें। सादर। 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 14, 2020 at 5:11pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार , आपकी हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 14, 2020 at 12:38pm

आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन । बहुत अच्छी गजल हुई है । ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service