२१२२/२१२२/२१२
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जो नदी की आस लेकर जी रहे हैं
एक अनबुझ प्यास लेकर जी रहे हैं।१।
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है बहुत धोखा सभी की साँस में यूँ
परकटे विश्वास लेकर जी रहे हैं।२।
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जो पुरोधा हैं यहाँ स्वाधीनता के
साथ अनगिन दास लेकर जी रहे हैं।३।
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भोग में डूबे स्वयम् उपदेश देकर
कौन ये सन्यास लेकर जी रहे हैं।४।
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जिन्दगी उन को लुभा ले हर्ष देकर
जो मरण की आस लेकर जी रहे हैं।५।
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एक दिन तो ईश को सुनना पड़ेगा
जीभ में अरदास लेकर जी रहे हैं।६।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
Comment
आ. भाई बृजेश जी, सादर अभि्वादन। गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।
वाह वाह आदरणीय धामी बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई...
शंका निवारण करने के लिए धन्यवाद आदरणीय धामी भाई जी।
आ. भाई अमीरुद्दीन जी, निम्न पंक्तियों को गूगल करें शंका समाधान हो जायेगा।
//
अपने सीपी-से अन्तर में रख लो।
अनबुझ प्यास अथिर पारद की,
मैं ही मृगजल लोभन, कदली- ...
//
अहोभाग्य है जो तुम आए मुझसे मिलने,
इस बाँदा में चार रोज़ के लिए ठहरने,
अहोभाग्य है मेरा, मेरे घर वालों का,
जिनको तुम स्वागत से हँसते देख रहे हो।
अहोभाग्य है इस जीवन के इन कूलों का,
जिनको तुम अपनी कविता से सींच रहे हो।
अहोभाग्य हैं हम दोनों का,
जिनको आजीवन जीना है काव्य-क्षेत्र में।
अहोभाग्य है हम दोनों की इन आँखों का,
जिनमें अनबुझ ज्योति जगी है अपने युग की।
अहोभाग्य है दो जनकवियों के हृदयों का
जिनकी धड़कन गरज रही है घन-गर्जन-सी।
-केदारनाथ अग्रवाल
//अनबुझ का अर्थ यहाँ कभी न बुझने वाली के सन्दर्भ में ही लिया गया है। हिन्दी में इसका प्रयोग ऐसे भी होता है. //
आदरणीय भाई जी, मेरा मानना है कि आप मुझसे बेहतर और अधिक हिन्दी जानते हैं, मुझे तो किसी शब्दकोश अथवा साहित्य में 'अनबुझ' का प्रयोग 'कभी न बुझने वाली' के रूप में नहीं मिला, गूगल पर सर्च करने पर भी केवल आपकी इसी रचना में उक्त संदर्भ में यह शब्द प्रयुक्त हुआ मिला है।
जैसा कि आपने बताया है कि 'कभी न बुझने वाली' के अर्थ में भी 'अनबुझ' शब्द का प्रयोग हिन्दी में किया जाता है।इस सम्बन्ध में कृपया मंच को किसी मानक अथवा ग़ैर मानक साहित्य के माध्यम से कोई उदाहरण लिंक सहित देते हुए अवगत कराने की कृपा करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूँगा... सादर।
आ. भाई गुमनाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।
आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। अनबुझ का अर्थ यहाँ कभी न बुझने वाली के सन्दर्भ में ही लिया गया है। हिन्दी में इसका प्रयोग ऐसे भी होता है। सादर....
आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार। भूलवश अरकान गलत लिख गया । त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।
वाह खूब वाह बहुत बहुत बधाई । चेतन जी ने सही कहा 2122 2122 2122 ..
आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।
'एक अनबुझ प्यास लेकर जी रहे हैं'... मेरी जानकारी में 'अनबुझ' कोई शब्द नहीं है, हाँ 'अनबूझ' ज़रूर है।
अनबूझ [विशेषण] 1. जिसे बूझा या समझा न जा सके ; अबूझ 2. रहस्यमय 3. निर्बुद्धि ; नासमझ ; ...
लेकिन मेरे विचार में यहाँ आप 'अनबुझी सी प्यास'... जैसा कुछ कहना चाहते हैं। :-))
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