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बुआ का रिबन

बुआ बांधे रिबन गुलाबी

लगता वही अकल की चाबी

रिबन बुआ ने बांधी काली

करती बालों की रखवाली

रिबन बुआ की जब नारंगी

हाथ में रहती मोटी कंघी

रिबन बुआ जब बांधे नीली

आसमान सी हो चमकीली

हरी लाल हो रिबन बुआ की

ट्रैफिक सिग्नल जैसी झांकी 

बुआ रिबन जो बांधे पीली

याद आती है दाल पतीली

रिबन सफेद बुआ ने डाले

उड़े कबूतर दो मतवाले

(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 3, 2024 at 7:19pm

आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर बालगीत हुआ है। हार्दिक बधाई।

Comment by Dayaram Methani on July 3, 2024 at 10:34pm

बहुत सुंदर बाल गीत। रिबन के विभिन्न रंगो के चमत्कार आपने बता दिए। बहुत खूब आदरणीय।

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