For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहू या अलादीन का चिराग

एक बात समझ में नहीं आती है कि जब हमारी हैसियत नहीं होती तो क्यों दूसरे परिवार की प्यारी सी बिटिया को अपने घर में बहू बनाकर लाते है. क्या हम इतने निकम्मे, लूले-लंगडे हो गए है कि बेटे व परिवार की सुख-सुविधा की वस्तुओं को एकत्र करने की नियत के साथ दूसरे से धन ऐंठने के लिए उनकी प्यारी सी बिटिया को विवाह मंडप में अग्नि के सात फेरों के बाद अपने घर ले आते है. फिर उस परिवार की मजबूरी बन जाता है कि वह अपनी बिटिया की खुशी के लिए वह सब कुछ करे, जो हम चाहते है. क्योंकि हम तो पहले से ही इतने कंगाल हैं, घर में खाने को सूखी रोटी भी मुश्किल से बन पाती हैं. गाडिय़ों में घूमने का अरमान वर्षों से दिल में दबा रखा है कि बेटे की शादी में लडक़ी नए मॉडल की कार तो अपने साथ लाएगी ही, नहीं तो लेटेस्ट बाइक तो पक्की ही समझो. फिर हमने अपने बेटे पर बचपन से लेकर जवानी तक पढ़ाई-लिखाई, शौक पूरे करने के लिए लाखों खर्च कर दिए. अब इनको कौन समझा जा सकता है कि जिस घर से बिटिया को लाए है, क्या वह अनपढ़ है, उसकी पढ़ाई-लिखाई के लिए उसके माता-पिता के पास क्या कुबेर का खजाना था या उसकी योग्यता व खूबसूरती किसी से कम थी, नहीं बेटे वालों की नियत में ही खोट था, तभी तो वह कुटिल मुस्कान के साथ योग्य बिटिया के घर के चक्कर काट रहे थे कि उनको तो अपने बेटे के लिए यही बिटिया नहीं, अलादीन का चिराग चाहिए. जिसको जरा दबाओ और मुंह-मांगी मुराद पूरी करवाओ. बस एक बार बहू बनाकर अपने घर ले आये फिर हमको सामाजिक रूप से उसको बंधक बनाने और उसके माता-पिता को ब्लैकमेल करने का अधिकार मिल जाएगा. फिर उसके बाद बेटे की जिंदगी ऐश से कटेगी. आप अपने आसपास देखिए किसी भी लडक़े की शादी की बात चलते ही, उसके दोस्तों व परिचितों का पहला सवाल यही होता है कि अरे भाई बताओ सगाई में कौन सी कार या बाइक मिलने वाली है. दूसरी ओर बिटिया के परिचितों के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट दिखाई देती है कि चलो बिटिया के लिए एक मुकम्मल घर की तलाश पूरी हुई. शादी के बाद हर खुशी या गम को बिटिया की किस्मत से जोड़ दिया जाता है, अगर शुभ हुआ तो बेटी की किस्मत अच्छी है, जो अच्छे घर में गई है. लेकिन अगर अशुभ हो गया तो बेटी की आगे की जिंदगी बहुत ही खतरनाक रास्तों पर समझो, जहां पर उसको अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है. अगर किसी तरह वह बच भी गई तो मानसिक रूप से उसको इतना तोड़ दिया जाता है कि वह अपने अस्तित्व को ही भूल जाती है. कहा जाता है कि इस सृष्टि में इंसान सबसे बेहतरीन प्राणी है, इनमें भी नारी को सर्वश्रेष्ठ सम्मान मिला है, साल में दो बार मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र के व्रत रखे जाते है. उसके बाद भी पुरुषों की मानसिकता इतनी खतरनाक हो गई है कि बिटिया को गर्भ में ही कत्ल कर दिया जाता है. हां अपवाद हो सकते है जो बिटिया या बहू को बेटे से ज्यादा मान-सम्मान देते है, पर आज के समय में उनकी स्थिति में ऐसी हो गई जैसे सूरज को दीपक दिखाना. मेरा मानना है कि अगर पति-पत्नी में वाद-विवाद की स्थिति संबंध टूटने के कगार तक पहुंच गई तो ससम्मान दोनों को अलग-अलग रास्तों को अपना लेना चाहिए. पर ऐसी स्थिति में पति पक्ष की ओर से पत्नी को सदासदा के लिए चुप कर दिया जाता है और कुछ सालों पर यही पति महोदय दोबारा से समाज में अपने वंश को चलाने एक नए घर की तलाश शुरू कर देते है जहां उनको मिल सके, उनके बेटे को जनने के लिए एक बहू. पति को भगवान मानने वाले समाज में आखिर कब बहू-बेटियों को इस मानसिक, शारीरिक उत्पीडऩ से मुक्ति मिलेगी, यह सवाल हर समय हमको परेशान रखता है. आखिर ऐसा क्यों होता है और कब तक होता रहेगा?

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on March 8, 2012 at 9:38pm

लोग कभ समझेंगे !!! पता नहीं !! बीमारी है यह !! 

..........................अच्छे विचार हैं !!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 8, 2012 at 4:55pm

हरीश जी आपने एक बहुत ही विचारणीय मुद्दे पर आलेख लिखा हमारे देश में तो दहेज़ प्रथा एक भयंकर संक्रामक रोग बन चुका है इस रोग के उपचार का निदान होता नजर नहीं आ रहा और फैलता जा रहा है कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध भी इसी दहेज़ प्रथा की देन हैं और हमारी सरकार भी उचित कार्यवाही या इस और कोई कठोरता बरतती हुई नजर नहीं आ रही अब हम आम जनता को ही एक दुसरे को इस और जागरूक करना पड़ेगा एक मुहीम चलानी पड़ेगी अपने बच्चों को जन्म से ही ऐसे संस्कार देने होंगे शिक्षा व्यवस्था में भी इन विषयों को जोड़ना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चा यह सीख लेकर चले की दहेज़ एक भयंकर अपराध है तथा नारी का सम्मान करना चाहिए जब नीव मजबूत होगी तभी ईमारत सही बनेगी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2012 at 4:47pm

आदरणीय हरीश जी, शुभ होली. विचारणीय प्रश्न किया है. बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
19 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service