For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साधन में, सुधि में, समाधि ,संवाद में, ढूंढता हूँ संजोये नाम

कागज में, पाती में, दीये की बाती में, खोजा है बेसुध  अविराम,

गैर की निगाहों में, पराजायी बाँहों में, या दिन हो या कोई शाम

जख्मों में, टीसों में,आहों में, शीशों में, हो मेरा शायद गुमनाम  

 

डॉ. ललित

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2013 at 12:43pm

वाह वाह क्या बात है | सुन्दर रचना के लिए बधाई डॉ ललित कुमार सिंह जी 

Comment by ajay sharma on June 29, 2013 at 10:50pm

जख्मों में,               pyaar me to aisa hi sambhav hai 

टीसों में,                 fir pyaar ki sudhiya to teesh to dengi hi 

आहों में,                 pyar ho aur meethi meethi sudhiya paas ho to aah to uthegi hi

शीशों में,                 bada mumkin hai har soo wahi chehra 

हो मेरा शायद गुमनाम     har sache pyar ka anzam to huya hi "gumnam"

wah wah wah wah whahhhhhhhhhhhh

Comment by ajay sharma on June 29, 2013 at 10:46pm

wah wah guru ji 

Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2013 at 4:48pm

बहुत ही सुंदर रचना.....................

Comment by Ramkumar Nema on June 29, 2013 at 1:00pm

आदरणीय..बहुत खूब--बधाई कुबूल कीजिऐ 

Comment by रविकर on June 28, 2013 at 10:05am

गजब -
बहुत खूब आदरणीय डाक्टर साहब-
बधाइयाँ

Comment by वेदिका on June 27, 2013 at 9:38pm

सुंदर चतुष्पदी पर बधाई लीजिये!! 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 27, 2013 at 7:04pm
आदरणीय..बहुत खूब पेशकश.."गैर की निगाहों में,पराजायी बाहों में, या दिन हो या कोई शाम..जख्मों में, टीसों में, आहों में, शीशों में, हो मेरा शायद गुमनाम "...आदरणीय दाद कुबूल कीजिऐ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
20 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
24 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
39 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
41 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
43 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
44 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
46 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय भाई लक्ष्मण जी  हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service