For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम कुछ बोल दो

आज मन उदास है ,
तुम कुछ बोल दो !
अर्न्तमन की आँखों से मुस्कुरा,
प्रेम शब्द उकेर दो !
खिलते गुलाब की पंखुड़ी से,
गुलाबी अधर खोल दो !
आज मन उदास है , तुम कुछ बोल दो !

.
तुम्हारे स्वप्निल ख्यालों में ,
मन कहीं खो जाये !

तन स्पर्श ना सही ,
मन स्पर्श हो पायें !
स्वर कोकिला रूप में ,
श्वासों की सुगन्ध धोल दो !
आज मन उदास है तुम कुछ बोल दो !

प्रेम का मधुपान करूं ,
अपना सा अहसास करूं !
मोहपाश में बाँध कर ,
नजरों से इजहार करूं !
सर्द भरी इस रात में ,
प्यार की किरणें बिखेर दो !!
इठलाते हुए मुख खोल कर,
बातों की मिश्री घोल दो !
आज मन उदास है तुम कुछ बोल दो !

! मौलिक एवं अप्रकाशित !

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by D P Mathur on July 17, 2013 at 11:25am

आप सभी आदरणीय साहित्यविज्ञों को प्रणाम , मौसम कि रूस्वाई से नासार होने के कारण आभार व्यक्त करने में हुई देरी के लिए क्षमा मांगते हुए आप सभी का हृदय से धन्यवाद देता हूँ कृप्या आगे भी आप सभी को स्नेह इसी प्रकार बनाए रखिए !
आदरणीय बृजेश सर एवं आदरणीया वंदना जी आपके सुझाये अनुसार समझने की कौशिश करूँगा लेकिन क्या करना चाहिए यह मैं नही समझ पाया हूँ आदरणीय बृजेश सर यदि आप अपना मोबाईल नम्बर दे सकें तो आपसे बात करके कुछ मार्गदर्शन पा सकूँ
9001199809

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 1:29pm

waah waah aadarneey kya baat hai

प्रेम का मधुपान करूं ,
अपना सा अहसास करूं !
मोहपाश में बाँध कर ,
नजरों से इजहार करूं !
सर्द भरी इस रात में ,
प्यार की किरणें बिखेर दो !!
इठलाते हुए मुख खोल कर,
बातों की मिश्री घोल दो !
आज मन उदास है तुम कुछ बोल दो !

badhaai sweekaren

Comment by Vindu Babu on July 16, 2013 at 10:46am
आदरणीय माथुर जी बहुत अच्छी तरह से भावाभ्यक्ति की है आपने! आदरणीय बृजेश सर से सहमत हूं कि कुछ साहित्यिक श्रंगार भी कर देते तो चार चाँद लग जाते।
वैसे प्रबल भाव-प्रवाह ही कविता का सबसे आकर्षक गुण होता है पर आपकी रचना अल्प प्रयास में ही मात्राओं से सजती नजर आ रही है,इसलिए ऐसा कहा बाकी मैं स्वयं अल्पज्ञ हूं आदरणीय।
सादर बधाई व शुभकामनाएं..
सादर
Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 11:00pm

बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको इस प्रयास पर।
आदरणीय इस रचना को आपको मात्रा के आधार पर बांधने का प्रयास करना चाहिए था। इस बिन्दु पर आगे प्रयास करें। रचना की सुन्दरता बढ़ेगी।
सादर!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 12, 2013 at 10:43pm

आ0 माथुर सर जी,  वाह!  अतिसुन्दर  प्रस्तुति।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by D P Mathur on July 12, 2013 at 8:37pm

आदरणीय सुमित जी , राम शिरोमणी पाठक जी, लक्ष्मण प्रसाद जी, और विजय निकोर जी आपको कविता पसंद आने का मतलब शायद थोड़ा-2 मुझे लिखना आने लगा है आपके हौंसला बढ़ाने और टिप्पणी करने से प्रोत्साहन मिल जाता है आपका मार्ग दर्शन इसी प्रकार मिलता रहेगा ऐसी आशा के साथ आप सभी का आभार !

Comment by vijay nikore on July 12, 2013 at 4:55pm

सुन्दर मार्मिक अभिव्यक्ति, आदरणीय। बधाई।

विजय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 12, 2013 at 4:06pm

जब प्रेम भाव अभिव्यक्त होते है, तो कहते पत्थर भी बोल उठता है | फिर आपकी रचना के माध्यम से तो मिश्री घुल रही है 

आदरनीय डी पी माथुर साहब | सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on July 12, 2013 at 11:15am

बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति आदरणीय माथुर जी //सादर 

Comment by Sumit Naithani on July 12, 2013 at 9:40am

sunder rachna  

  • प्रेम का मधुपान करूं ,

                अपना सा अहसास करूं !
        मोहपाश में बाँध कर , 
                नजरों से इजहार करूं !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
18 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
20 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service