For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता - प्यार ....... बस तेरा प्यार .......

१ )
लाता एक नया रंग सा,
कुछ अलग एक नया ढंग सा,
कभी नशा सा, कभी मदहोशी सी,
मेरी ज़ुबान पे कभी ख़ामोशी सी।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......

२)
आस दिलाई फिरसे कसमों ने वादों ने,
तेरे साथ बिताए हर पल हसीन यादों ने,
कदम कमज़ोर पड़ने लगे थे टकराकर,
पर रुकना न सीखा मेरे मज़बूत इरादों ने।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......

३)
कभी सपनों को चूर कर दे,
कभी ग़मों को दूर कर दे,
मेरी जान ने तो साथ छोड़ दी,
धड़कन है तेरी जो जीने को मजबूर कर दे।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......


४)
दिल मेरा पंछियों सा उड़ता हुआ,
तेरे बसेरे कि राह में मुड़ता हुआ,
मिलना होगा तेरा मेरा जैसे,
आसमान धरती से जुड़ता हुआ।

प्यार ....... बस तेरा प्यार .......


५)
अंजानो में जाने  पहचाने चेहरों सा,
सागर कि उन मचलती लहरों सा,
तेरे दिल को मेरे दिल से जोड़ता वो,
प्यार तेरा रब कि मेहरों सा।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......

.

 "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 8, 2014 at 12:01am

आप अन्य रचनाओं को पढ़ कर समझने का प्रयास करें ..

शुभेच्छाएँ

Comment by M Vijish kumar on January 6, 2014 at 12:18pm

आदरणीय प्राची जी , आपकी विशेष टिपण्णी के लिये ह्रदय से धन्यवाद। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 5, 2014 at 7:07pm

प्रेम को समर्पित बहुत सुकोमल भाव..

कदम कमज़ोर पड़ने लगे थे टकराकर,
पर रुकना न सीखा मेरे मज़बूत इरादों ने। ......इन दो पंक्तियों में जीत का जज्बा बहुत पसंद आया 

हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर.

Comment by M Vijish kumar on January 5, 2014 at 9:35am

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी , सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। 

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 4, 2014 at 7:19pm

प्यार भरे इस प्रस्तुति पर बधाई

Comment by M Vijish kumar on January 2, 2014 at 9:48pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी धन्यवाद् 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 2, 2014 at 9:03pm

आदरणीय वीजिश जी , सुन्दर कविता के लिये बधाई !!

Comment by M Vijish kumar on January 2, 2014 at 2:46pm

आदरणीय  अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आपको व आपके  पुरे परिवार को भी नववर्ष  बधाई।  धन्यवाद्  मेरी कविता पढ़ने  व मेरी कोशिश  को सराहने  के लिए। 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 2, 2014 at 11:39am

आदरणीय विजीश  भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी  हो॥ सुंदर रचना की हार्दिक बधाई॥ .......सप्रेम राधे- राधे।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Oct 11

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service