For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्म नीति के प्याले में है, दिखता बस जाला-जाला

कोई पढ़वाता नमाज है, कोई जपवाता माला।
भारत और इंडिया का, देखो यह है गड़बड़झाला।
धर्म, जाति, मक्कारी की, हाला उसने जो पी ली है।
मानवता को नोंच, नोंचकर, लगा रहा मुंह पर ताला।
राम, रहीम, मुहम्मद हमको मिले नहीं हैं अभी तलक।
धर्म नीति के प्याले में है, दिखता बस जाला-जाला।
भावों का जो घाव मिल रहा, कब तक उसे कुरेदोगे।
मंदिर कभी और मस्जिद में, कब तक मन को तोलोगे।
ईश्वर अल्ला नाम एक ही, बोलो क्यू हो भूल रहे।
धर्म तराजू से भारत की, संतानों को तोल रहे।
तेज सियासी चाकू से, मानव मन को जो काटा है।
बनकर ठेकेदार धर्म के, तन मन को जो बांटा हैं।
काट, छांट और बांट तुम्हारी हिंदुस्तान समझता है।
चाल तुम्हारी जो भी है बस भारत देश उलझता है।
बोलो इस उलझन को, कैसे सुलझाओगे यार यहां।
आने वाली पीढ़ी पर, तुम बनते हो क्यूं भार यहां।
कृष्ण, राम ने मानवता की, रक्षा का संदेश दिया।
नानक और मुहम्मद ने भी, नवजीवन परिवेश दिया।
इन संदेशों को भूले हो, कब तक तुम रह पाओगे।  
हिंदुस्तानी जनता को, बोलो कब तक भरमाओगे।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 408

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 11:44pm

आईना दिखाती है तेरी गज़ल 

दिल को लुभाती है तेरी गज़ल 

बांटते रहे धर्म-नीति के प्याले 

फिर से मिलाती है तेरी गज़ल 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 15, 2014 at 9:35pm

बहुत सुन्दर और सच्ची तस्वीर मधुशाला के तर्ज पर!
बैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद मेल कराती मधुशाला!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 15, 2014 at 12:23pm

अच्छी रचना है i

कोई पढ़वाता नमाज है, कोई जपवाता माला।
भारत और इंडिया का, देखो यह है गड़बड़झाला।
धर्म, जाति, मक्कारी की, हाला उसने जो पी ली है।
मानवता को नोंच, नोंचकर, लगा रहा मुंह पर ताला।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service