For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२ २१२ २१२

वो वफ़ा जानता ही नहीं
इस खता की सजा ही नहीं


फिर वही रोज जीने की जिद
जीस्त का पर पता ही नहीं


शहर है पागलों से भरा
इक दिवाना दिखा ही नहीं


पूजता हूँ तुझे इस तरह
गो जहां में खुदा ही नहीं


खा गए थे सड़क हादसे
सारे घर को पता ही नहीं


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 29, 2015 at 5:39pm

धन्यवाद गोपाल जी नादिर जी कोशिश रहेगी कि कुछ अच्छा कह सकूं .................

Comment by नादिर ख़ान on January 29, 2015 at 5:03pm

फिर वही रोज जीने की जिद 
जीस्त का पर पता ही नहीं

शहर है पागलों से भरा 
इक दिवाना दिखा ही नहीं

आदरणीय बहुत उम्दा कहा ढेरों मुबारकबाद ....

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 8:51pm

गुमनाम जी

मुझे आपकी गजल अच्छी लगी i  सादर i

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 28, 2015 at 6:59pm

धन्यवाद विजय जी आशुतोष जी ............ बस कोशिशे हैं जिन्हें आप गुणी जन सराहते है तो उत्साह बढ़ता है ,,

Comment by vijay on January 28, 2015 at 9:58am
अब कहाँ के गुमनाम
इतनी बेहतरीन ग़ज़ल लिखने वाला गुमनाम कैसे हो सकता है
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2015 at 9:42am

aadarneey gumnaam jee .behtareen shero se susajjit is shandaar ghazal ke liye dher saaree badhaaayee sweekar karein saadar 

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 28, 2015 at 7:21am

मिथिलेश जी क्यों शर्मिंदा कर रहे हैं आप लोगो को कैसे भूल सकता हूँ सिर्फ नाम नहीं लिखा पर हर बार आप ही तो मुझे महत्वपूर्ण बनाते फिर भला आप को कैसे भूला जा सकता है...........धन्यवाद मिथिलेश जी सोमेश जी गिरिराज जी राहुल जी हरी प्रकाश जी श्याम जी आप सभी का धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 27, 2015 at 11:55pm

धन्यवाद हमे भी चाहिए आदरणीय गुमनाम सर जी, प्रतिक्रिया देने वाले और भी है  आ. कांता जी, आ. डॉ शंकर सर, आ. श्याम नरैन वर्मा जी, आ. श्याम मठपाल जी, आ. हरिप्रकाश दुबे जी और मैं....... मैंने तो एक निवेदन भी किया है, जी निरुत्तर है.  पुनः उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई.

Comment by somesh kumar on January 27, 2015 at 11:36pm

पूरी गज़ल दिलकश और ये शे'र कुछ ज़्यादा खास लगा -

शहर है पागलों से भरा 
इक दिवाना दिखा ही नहीं

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2015 at 8:14pm

आदरणीय गुमनाम भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , दिल से बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service