For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

2122 2122 212

जब हमें दिल का लगाना आ गया
राह में देखो ज़माना आ गया


ख़त तुम्हारा देखकर बोले सभी
खुशबू का झोंका सुहाना आ गया


इक पता लेके पता पूंछे चलो
बात करने का बहाना आ गया


नाम तेरा जपते जपते यूँ लगे
अब तुझे ही गुनगुनाना आ गया


ज़िन्दगी रफ़्तार में चलती रही
मौत बोली अब ठिकाना आ गया

बेरुखी ने ही दिखाया गई हमें
फूल पत्थर पर चढ़ाना आ गया


शख्स इक गुमनाम देखा बोले सब
शहर में देखो दिवाना आ गया


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 3, 2015 at 8:44pm

धन्यवाद खुर्शीद जी आपका शुक्रिया

Comment by khursheed khairadi on February 3, 2015 at 9:58am

ख़त तुम्हारा देखकर बोले सभी 
खुशबू का झोंका सुहाना आ गया

इक पता लेके पता पूंछे चलो 
बात करने का बहाना आ गया

नाम तेरा जपते जपते यूँ लगे 
अब तुझे ही गुनगुनाना आ गया

वाह.. आदरणीय गुमनाम साहब क्या ही उम्दा ग़ज़ल हुई है |शेर दर शेर दाद कबूल फरमावें |मक्ते में तखल्लुस गज़ब रंग भर रहा है |सादर अभिनन्दन |

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 1, 2015 at 6:40pm

धन्यवाद शिज्जु शकूर जी गिरिराज जी ........... सर समझ आ गया गलती से बिंदी इधर की उधर हो गयी ....... धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 12:25pm

आदरणीय गुमनाम भाई , बढिया गज़ल के लिये बधाई स्वीकार करें । आ. शिज्जु भाई का इशारा समझियेगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:15am

वाह गुमनाम जी बेहतरीन ग़ज़ल है लाजवाब हर शे'र कमाल का है। दिली दाद पेश कर रहा हूँ इस रचना के लिये।
इक पता लेके पता पूछे चलो

गौर फरमाइयेगा

Comment by vijay on January 31, 2015 at 11:03pm
वाह गुमनाम जी क्या बात है
उम्दा
शेर दर शेर
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 31, 2015 at 9:14pm
धन्यवाद शाम जी मुकेश जी गोपाल जी ....... हाँ लिखते समय शायद जल्दी कर गया ............ वो कुछ इस तरह है ..... बेरुखी ने ये सिखाया है हमें
फूल पत्थर पर चढ़ाना आ गया

आप सभी का धन्यवाद
Comment by Shyam Mathpal on January 31, 2015 at 3:11pm

Aadarniya Gumnami Ji

Har Pankti dil ko chu gai. Kya kamal ka likha hai.

Kaun Kahat a tum Gum Naam Ho.

Har Dil par tumara naam hai,Har jagah tumara paigaam hai.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 31, 2015 at 1:29pm


 बेरुखी ने ही दिखाया गई हमें----कुछ टंकण त्रुटि है मित्र , शायद i बाकी गजल बहुत सुन्दर i

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on January 31, 2015 at 10:32am

इक पता लेके पता पूंछे चलो
बात करने का बहाना आ गया bahut khooboorat rachna abadhaee

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service