For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भांग का पौधा ........इंतज़ार

ये मेरे दिल में जो तूने
एक भांग का पौधा 
बो दिया था
अब वो बड़ा हो गया है
और लत लग गई है मुझे
रोज़ दो पत्ती खाने की...
प्यार के नशे में तेरे
डूबना बड़ा अच्छा लगता है
कहते हैं कि नशा गुनाह है
मगर यहाँ किसे परवाह है
अगर मैं मुजरिम हूँ
तो सिर्फ़ तेरा
तू चाहे जो सज़ा दे दे
मंज़ूर है सब
मगर शर्त ये है कि
कभी कभी इसे सींच देना
अपने एहसासों की बौछार से !! 

***********************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 891

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on June 9, 2015 at 10:57pm

नशा ये प्यार का नशा है - - -बहुत बेजोड़ है ये प्यार की भांग ,बधाई मोहन भाई |

Comment by kanta roy on June 9, 2015 at 11:01am
भाँग का पौधा ..... और प्यार का नशा ..... वाह !!! बेहद सटीक प्रतीक का उपयोग किया है आपने । दो पत्तियाँ रोज खाने की आदत ... हाँ , यह सच है कि भाँग के पौधे की लतर - चतर बेहद सशक्त होती है । एक बार यह पौधा लग जाये तो इसका उन्मूलन असंभव है । यह स्वंय में सींचन लेता रहता है ..... प्रेम के नशे में ही यह जीवित होकर । बधाई आपको इस सुंदर रचना के लिए आदरणीय मोहन सेठी 'इंतजार ' जी
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 9, 2015 at 7:14am

आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी तहे दिल से आपका धन्यवाद ....सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 9, 2015 at 7:12am

आदरणीय shree suneel आप का अभिनन्दन एवं हार्दिक आभार पसन्दगी के लिये ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 9, 2015 at 7:11am

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आप के प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार ....सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 8, 2015 at 6:41pm

आदरणीय मोहन भाई , सुन्दर , मर्मस्पर्शी रचना हुई है , हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by shree suneel on June 8, 2015 at 1:41am
क्या बात है! आदरणीय मोहन सेठी जी, सुन्दर कविता हुई. भावपूर्ण प्रस्तुति. हार्दिक बधाइयाँ आपको इस रचना के लिए.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 7, 2015 at 7:23am

वाह! आ० ऐसी मुहब्बत और विरह के रंग में डूबी ऐसी कल्पनाए! तो बस आप ही कर सकते है!बहुत सुन्दर!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 7, 2015 at 5:35am

आदरणीया rajesh kumari जी हार्दिक आभार आप की उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिये ....सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 7, 2015 at 5:33am

आदरणीय vinaya kumar singh जी हार्दिक आभार पसंदगी के लिये ...सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service