For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन पथ पर चारो ओर फैला हुआ बस प्यार हो
आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!
-
जाति-धर्म का न भेदभाव जहां हो
मानवता का बस बर्ताव वहां हो,
रहेँ हम सब मिलकर ऐसा एक घर-बार हो
...आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!
-
स्वयं को समझेँगे जब एक समान
तभी बनेँगे हिन्दु,मुस्लिम,सिक्ख महान,
सब धर्मोँ की लागी एक कतार हो
...आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!
-
जहां प्रेम हो पूजा, प्रेम जीवन हो
तन,मन,धन सब इसे अर्पण होँ,
सत्य,अहिँसा और प्रेम जीवन का आधार हो
...आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!
-
पग बढ़ाकर हम सब मिलकर एक साथ चलेँ
मानवता का हर पथ पर हम नाम लिखेँ,
स्वपन हमारी आशाओँ का ऐसे अब साकार हो
...आशाओँ का हमारी ऐसा एक संसार हो!!
-----

(मौलिक व अप्रकाशित)

......... आबिद अली मंसूरी!

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 22, 2018 at 6:46am

बहुत ही गंभीर, सुंदर, आह्वान करती विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब आबिद अली मंसूरी साहिब।

Comment by Abid ali mansoori on November 8, 2015 at 12:38am

आदरणीया प्राची जी हार्दिक आभार आपका, जी मैं भी आपसे सहमत हूं!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 7, 2015 at 11:36pm

बहुत खूबसूरत आशाओं का संसार आ० आबिल अली जी.. आ० गिरिराज भंडारी जी के कहे से मैं भी इत्तेफाक रखती हूँ.

हार्दिक बधाई

Comment by Abid ali mansoori on November 6, 2015 at 11:16pm

आदरणीय गिरिराज जी आपका मार्ग्दर्शन मेरे लिए महत्वपूर्ण है, मै यहां आप सभी से सीखने आया हूं, आशा है अपना साथ आगे भी बनाए रखेंगे, हार्दिक आभार आपका आदरणीय महोदय!

Comment by Abid ali mansoori on November 6, 2015 at 11:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 6, 2015 at 10:22am

आदरणीय आबिद अलि भाई , गीत मे सुन्दर संदेश है , भाव बहुत सुन्दर है , आपको हार्दिक बधाइयाँ गीत के लिये । मुझे लगता है शिल्प के लिहाज से गीत और समय चाहता है , पंक्तियों मे मात्राओं को भी साधना ज़रूरी है , ताकि गीत मे गेयता भी रहे ॥

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2015 at 8:48pm

आदरणीय इस भावपूर्ण गीत प्रयास की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

Comment by Abid ali mansoori on November 5, 2015 at 3:35pm

आदरणीय मिथिलेश जी आप जैसे महानुभवों का मार्गदर्शन मेरे लिए बेहद ज़रूरी है, आगे भी आपसे यही अपेक्षा रहेगी, हार्दिक आभार आपका!

Comment by Abid ali mansoori on November 5, 2015 at 3:32pm

आदरणीय श्याम जी हार्दिक आभार इस उत्साहवर्धन के लिए!

Comment by Shyam Narain Verma on November 5, 2015 at 3:10pm

बहुत सुंदर गीत ...हार्दिक बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service