For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत -जिसको मैं दिन रात पढ़ूँ वो पुस्तक है मेरी|

दिल में कसक है तेरी यादों का हक है तेरी,

जिसको मैं दिन रात पढ़ूँ वो पुस्तक है मेरी|

दिल में ............

तू ही मेरा सांध्य-गीत है, और भोर वंदन है,

जिसमें मैं निज को निज देखूं नैन तेरे दर्पण है|

तेरी खातिर खुले हमेशा सब दिल के दरवाजे,

चाहे जिससे तू आ जाए तेरा अभिनंदन है||

दिल तो तेरा है पर उसकी धक-धक है तेरी,

दिल में ......

.

गंगा-सा मन पावन तेरा, यमुना सा निर्मल हो,

सरस्वती-सी बुद्धि तुम्हारी, चंडी-सा सम्बल हो।

जीवन मेँ बन कर के त्रिवेणी, तुम बहती रहती हो,

दिखे तुम्हारे सजल नयन जब जन-जन-मन विह्वल हो॥

 मै तो तेरी प्रेम-वस्तु,  तू ग्राहक है मेरी ,

दिल में .....

.*******************************************

मौलिक एवम् अप्रकाशित 

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2017 at 11:24am

आदरणीय अरुण भाई , भाव पूर्न अच्छी गीत रचना की है .. हार्दिक बधाइयाँ । आ. रामबली भाई जी से मै भी सहमत हूँ .. गीत को और कुछ समय की ज़रूरत है .. शिल्प मे कसने के लिए ।

Comment by Mohammed Arif on September 27, 2017 at 7:59am
आदरणीय अरुणेश जी आदाब, गीत का अच्छा प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by रामबली गुप्ता on September 26, 2017 at 10:04pm
भाई अरुणेश जी गीत पर प्रयास अच्छा है। कथ्य और भाव भी अच्छे है। किंतु बताना चाहूंगा गीत में प्रवाह और गेयता की भारी कमी है। इसलिए शिल्प के दृष्टिकोण से रचना कमजोर है।
Comment by Samar kabeer on September 26, 2017 at 3:20pm
जनाब अरुण जी आदाब,गीत का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
गीत के बारे में इस मंच पर आलेख मौजूद हैं,उनका अध्यन करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
19 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
17 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service