For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यहाँ जिंदा की है खबर नहीं यहाँ फोटो पे ही वबाल है

11212 11212 11212 11212 

यहाँ जिंदा की है खबर नहीं यहाँ फोटो पे ही वबाल है

जो टंगी कहीं थी जमाने से खड़ा अब उसी पे सवाल है

 

कई जानवर रहे घूमते बिना फिक्र के बिना खौफ के

हुए क़त्ल जब कोई समझा था बड़े काम वाली ये खाल है

 

कई हुक्मरान हुए  यहाँ सभी आँखे बंद किये रहे

कोई खोल बैठा जो आँख है सभी कह उठे ये तो चाल है

 

ये सियासतों का समुद्र है यहाँ मछलियों सी हैं कुर्सियां

सभी हुक्मरान सधी नजर सभी ने बिछाया जाल है

 

कहीं थे लहू-लुहां जिस्म ही कहीं घर जले कहीं तन मगर

रहे नेता अपनी ही घात में सभी ने कहा क्या हाल है

 

थे लहू से ही सने जिनके कर वो सफ़ेद पोश हैं  हुक्मरान

नहीं खौफ है किसी का इन्हें रखी सबने उम्दा सी ढाल है

मौलिक व प्रकाशित

 

Views: 660

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 7, 2018 at 11:27am

आदरणीय तेजवीर जी  आदरणीय लक्ष्मण जी आदरणीय सोमेश जी आदरणीय नवीन जी रचना को आप सबका आशीर्वाद मिला मैं ह्रदय से आभारी हूँ / सादर 

Comment by somesh kumar on May 6, 2018 at 11:03pm

Samayik rajnit ko drishtigat rkhte hue achchi gazal likhi aapne

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2018 at 5:02pm

आ. भाई आषुतोष जी, सुंदर गजल हुइ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 6, 2018 at 4:24pm

बहुत अच्छा प्रयास । कबीर साहब की बात महत्वपूर्ण होती है ।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 6, 2018 at 11:23am

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।बेहतरीन गज़ल।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 5, 2018 at 6:21pm

आदरणीय सर आपकी इस अनमोल सलाह का ख्याल आगे से अवश्य रखूँगा और जल्दबाजी से बचने की कोशिस करूंगा।या ग़ज़ल की गलतियों पर आपका और आदरणीय नीलेश जी का थोडा और मार्गदर्शन चाहिए। आप सबके मार्गदर्शन से ही सीख रहा हूँ ।किसी एक शेर को आप दुरस्त कर दीजियर तदनुसार मैं आगे प्रयास करूंगा सादर प्रणाम के साथ

Comment by Samar kabeer on May 5, 2018 at 4:03pm

जबाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

ग़ज़ल कभी आनन फानन कहने की विधा नहीं है,इसमें एक एक शब्द नाप तोल कर रखा जाता है, पहले इत्मीनान से ग़ज़ल कहें फिर एक पाठक की तरह उसका अध्यन करें,तब आप अपनी कमी ख़ुद समझ लेंगे ।

Comment by Shyam Narain Verma on May 5, 2018 at 11:50am
इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई   सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 5, 2018 at 8:57am

  आदरणीय भाई नीलेश जी इस बेशकीमती मशविरे के लिए हृदय से आभारी हूँ अभी तक जितनी ग़ज़ल बड़ी बहर में लिखी हैं उसमे इस तरह की कमियां आप सभी ने पूर्व में इंगित की थी कल समाचार सुनते ही बिचार मन ने उठा और आनन् फानन में लिख कर पोस्ट कर दी लेकिन आदरणीय आपजी बात को मैं और भली तरह समझ सकूंगा  आप थोडा और विस्तार से बताएं कसावट में कमी तो मुझे भी लग रही है लेकिन कैसे ठीक करू सोच रहा हूँ हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 5, 2018 at 8:11am

आ. डॉ आशुतोष जी,
कठिन बहर पर ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है. ग़ज़ल के भाव भी बहुत अच्छे हैं लेकिन मिसरों में आवश्यक कसावट कम है.. वाक्य रचना भी थोड़ी उलझी हुई है ..
ग़ज़ल को थोडा समय और दीजिये... और शेर की जगह   मिसरा कहने का प्रयास कीजिये.. मिसरा मिसरा कसता जाएगा फिर ग़ज़ल अपने  आप बोलने लगेगी 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service