For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मुझे भी!' (लघुकथा) :

आज होलिका दहन दिवस था। पहले से लिए गए फैसले के अनुसार अधिकतर लोग कोई न कोई सफ़ेद पोशाक पहन कर आये थे। होली अवकाश के पहले विद्यालय में छुट्टी होने के एक घंटे पूर्व परीक्षा मूल्यांकन कार्य के बीच स्टाफ को गुलाल से होली खेलने की अनुमति जैसे ही मिली महिला स्टाफ लायी हुई अपनी गुलाल की पुड़ियें खोलकर एक-दूसरे को तिलक कर गालों पर रंगीन गुलाल पोतने लगीं। एक-दो नौजवान पुरुष शिक्षक भी उनमें शामिल हो गये। शेष परीक्षा-मूल्यांकन कार्य में जुटे रहे। मोबाइल कैमरों से फ़ोटो, सेल्फ़ी व वीडियो का दौर भी शुरू हो गया।


"सर, ध्यान रखना कोई इस कमरे में न आ पाये!" सुंदर सफ़ेद पोशाक पहने सुंदर व चंचल युवा शिक्षिका वर्तिका ने मूल्यांकन कर रहे एक शिक्षक से कहा।


"क्यों, सब तो खेल रही हैं, आप भी खेलिए!" शिक्षक ने आश्चर्य से कहा।


"सर, मम्मी-पापा को बताये बिना यह नई सफ़ेद ड्रेस पहन कर आई हूं। दाग़ लग गये, तो मुश्किल हो जायेगी!"


उसकी यह बात बाहर से ही सुन कर एक शिक्षिका उसे पकड़ कर ले गई और सावधानी से उसके चेहरे पर गुलाल पोत कर सेल्फ़ी लेने लगी। तभी छुट्टी की घंटी बजी। सब शिक्षिकायें एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहने लगीं, " मोबाइल के ये फ़ोटो और सेल्फ़ियां मुझे भी भेज देना सोशल मीडिया पर!"


"मैडम हमें तो तुमने ज़रा भी गुलाल नहीं लगाया और जाने लगीं!" विद्यालय की चतुर्थ-वर्ग स्टाफ़ की बुज़ुर्ग बाई ने वर्तिका मैडम से यह कहा और जब मैडम ने उसके गालों पर गुलाल पोत कर और सेल्फ़ी ली, तो वह उसके पैर छू कर बोली, "मैडम मुझे भी भेज देना! ..... लेकिन ऐसा वाला मोबाइल तो हमारे पास है नहीं!"


लेकिन उसकी आवाज़ स्कूल-बस के हॉर्न की आवाज़ों में दब कर रह गई।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 1, 2019 at 5:13pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर अपना अमूल्य समय देकर व राय देते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब,  आदरणीया नीता कसार साहिबा, आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा और आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।

Comment by babitagupta on March 31, 2019 at 10:05pm

बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी ।

Comment by Nita Kasar on March 27, 2019 at 2:35pm

सबके बीच सेल्फ़ी का सुरूर छाया हुआ है।सुविधायें जितनी हो कम ही लगती है।पर ये तय हैछोटी छोटी ख़ुशियाँ मायने रखती है।बुज़ुर्ग बाई के मन की पीड़ा को दर्शाती कथा के लिये बधाई आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by Neelam Upadhyaya on March 27, 2019 at 2:24pm

अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी

Comment by TEJ VEER SINGH on March 23, 2019 at 12:10pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 23, 2019 at 1:23am

बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब विजय निकोरे साहिब। आपकी टिप्पणी  हम जैसे बहुत से लोगों की पीड़ा भी शाब्दिक कर रही है। 

Comment by vijay nikore on March 22, 2019 at 11:01pm

//"मैडम हमें तो तुमने ज़रा भी गुलाल नहीं लगाया और जाने लगीं!" विद्यालय की चतुर्थ-वर्ग स्टाफ़ की बुज़ुर्ग बाई ने वर्तिका मैडम से यह कहा और जब मैडम ने उसके गालों पर गुलाल पोत कर और सेल्फ़ी ली, तो वह उसके पैर छू कर बोली, "मैडम मुझे भी भेज देना! ..... लेकिन ऐसा वाला मोबाइल तो हमारे पास है नहीं!"//........

इन पंक्तियों ने मुझको जैसे पकड़ लिया, दबोच लिया, मन किया कि तुरन्त कुछ करूँ उस बुज़ुर्ग बाई के लिए, कोई खुशी दूँ उसे ... और फिर लगा कि मैं इस काबिल भी नहीं कि किसी के मन को शांति दे सकूँ ... पीड़ा-सी रुक गई छाती में।

बहुत ही सुन्दर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आ०  शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 21, 2019 at 9:59pm

आदाब। बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहिब।

Comment by Samar kabeer on March 21, 2019 at 12:15pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service