तीनों प्यासे थे। अपनी-अपनी सामर्थ्य अनुसार वे पानी की तलाश कर चुके थे। मुश्किल से एक सुनसान जगह पर एक झुग्गी के द्वार के पास एक मटका उन्हें दिखाई दिया। बारी-बारी से तीनों ने उसमें झांका। फिर गर्दन झुकाकर एक दूसरे को उदास भाव से देखने लगे। मटके में पानी का तल काफी नीचे था।
बहुत ज़्यादा प्यासे कौए ने पुरानी लोककथा अनुसार काफी कंकड़-पत्थर चोंच से उठा-उठा कर मटके में डाल कर पानी का स्तर ऊपर लाने की कोशिश की, लेकिन उसे उस कथा की कल्पना की सच्चाई समझ में आ गई। थक कर वह बैठ गया।
दूसरे कौए से देखा न गया। अपनी प्यास बुझाने हेेतु उसने अंदाज़ लगा कर मटके के बीच और नीचे वाले भाग की तरफ़ चोंच मारकर छेद करने की कोशिश की। चोंच में अत्याधिक दर्द होने लगा, लेकिन छेद ही न हो सका। पहले वाले को भी कुछ उम्मीद बंधी थी, लेकिन दूसरे वाले का निराश चेहरा उससे देखा न गया।
वे दोनों तीसरे कौए को निहारने लगे, जिसकी आवाज़ बंद हो गई थी प्यास की वज़ह से। तीसरे ने इधर-उधर फुदक कर कोई युक्ति सोची और उड़ कर भाग गया। एक घूरे से कोल्ड-ड्रिंक पीने वाली जैसी लम्बी नलिका सी स्ट्रॉ चोंच में दबाकर वापस लौटा और वह स्ट्रॉ मटके में डाल कर पहले वाले कौए की मेहनत का फ़ायदा लेकर उससे पानी की घूंट पीने लगा। उसके आमंत्रण पर बाकी दोनों कौओं ने भी अपने गले तर कर लिए।
"भाईसाहब! आपको ये तरीक़ा कैसे सूझा? क्या कोई नई लोककथा सुन-पढ़ ली?" दूसरे वाले कौए ने पहले वाले के पास बैठ कर तीसरे से पूछा।
"चौकन्ना रहना होगा! इस ज़माने में इंसान किस-किस तरह से जुगाड़ करते हैं; चारों तरफ़ क्या, कैसे और क्यों हो रहा है सब समझना होगा अपडेट रहने वास्ते!" तीसरे के कंठ से आवाज़ निकली, आत्मविश्वास के साथ।
"हां, सही कहते हो! यहां तो लोग बेरोज़गार, अनपढ़़, ग़रीब, अपराधी, पशु-पक्षियों सब से अपने काम निकाल लेते हैं! हमको भी आजकल के साम-दाम-दंड-भेद-तकनीक सब सीखने चाहिए! यही नई कथा-व्यथा है!" पहले कौए ने तीसरे से चोंच मिला कर कहा।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर अपना अमूल्य समय देकर व राय देते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब, आदरणीय समर कबीर साहिब, आदरणीय सुशील सरना साहिब, आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा और आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।
संदेशात्मक रचना, जमाने के साथ चलना हैं तो कमजोरियों के रोना ना रोकर,सोच को विस्तृत करो अर्थात् अपडेट हर पल रहना ।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी।
आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी, नमस्कार। अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय शेख़ उस्मानी साहिब, आदाब .... बहुत ही सुंदर और सारगर्भित लघु कथा हुई है। अपडेट रहना ही पड़ेगा वरना ज़माना आगे निकल जाएगा हमें छोड़कर।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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