For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम मेरे ख़ाबों के गुलशन में मिलो------ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

तुम मेरे ख़ाबों के गुलशन में रहो हक़ है तुम्हें

मुझ से जब चाहो ख़यालों में मिलो हक़ है तुम्हें

तुम को तकने की ख़ता, नींदें गँवाने की सज़ा

बदला आँखों से मेरी ऐसे ही लो हक़ है तुम्हें

बस तुम्हारा नाम हर पल जप रहा है मेरा दिल

मेरे सीने से लगो तुम भी सुनो हक़ है तुम्हें

कल्पना के व्योम में जितना मेरा विस्तार है

वह क्षितिज पूरा तुम्हारा, तुम उड़ो हक़ है तुम्हें

शब्द सारे भाव हर लय ताल हैं तुम से मेरे

सो सदा पंकज-ग़ज़ल में तुम सजो हक़ है तुम्हें

मौलिक अप्रकाशित

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 10, 2019 at 8:44am

आदरणीय विजय भाई साहब बहुत बहुत आभार

Comment by vijay nikore on August 9, 2019 at 4:01am

अच्छी गज़ल के लिए बधाई, मित्र पंकज जी

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 8, 2019 at 7:12pm

आदरणीय बाऊजी प्रणाम

ग़ज़ल को आशीष प्रदान करने के लिए सादर आभार, वैसे भी यह सब आपकी ही देन है

Comment by Samar kabeer on August 8, 2019 at 3:44pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 7, 2019 at 12:33pm

आदरणीय लक्ष्मण सर सादर आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 7, 2019 at 12:33pm

आदरणीय उपाध्याय जी बहुत बहुत आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2019 at 5:31am

आ. भाई पंकज जी , सुंदर गजल हुयी है। हार्दिक बधाई।

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 6, 2019 at 6:56pm

"शब्द सारे भाव हर लय ताल हैं तुम से मेरे

सो सदा पंकज-ग़ज़ल में तुम सजो हक़ है तुम्हें"
अति सुन्दर | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service