For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-58 (विषय: परिवर्तन)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-58 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-58
विषय: परिवर्तन
अवधि : 29-01-2020  से 30-01-2020 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 4271

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

दाह संस्कार

 

एकाएक फोन रखते ही सारी फिल्म उस के जेहन में चलने लगी. यह उस वक्त की बात है जब वह दूसरे शहर नौकरी कर रहा था. मां गांव में अकेली खेतीबाड़ी कर के गुजारा करती थी. तब अचानक मां को देहांत हो गया था. उसी धर्मपुत्र ने मां की मिट्टी को ठिकाने लगाया था. पुत्रधर्म का पालन किया था. जब कि वह मां का कुछ नहीं लगता था. वह तीन दिन बाद घर पहुंचा था. तब तक वहीं धर्मपुत्र सब कार्य करता रहा था.

मगर, आज वह उसी धर्मपुत्र के पिता के क्रियाकर्म पर जा नहीं पाया था. पत्नी से कहा था. उस का जवाब था, '' वह कौनसा अपना सगा या रिश्तेदार है जो वहां जाओगे. हमें किसी धर्मभाई का रिश्ता नहीं निभाना है.''

उस ने पत्नी की बात मान ली थी. 

आज उसी धर्मपुत्र का फोन आया था, '' भैया ! आप बड़े है. आप को ही पगड़ी बंधनी थी. आप नहीं आए. पिताजी नहीं रहे और आप भी  ....'' और वह फोन पर रोने लगा. आगे कुछ बोल नहीं पाया.

वह भी फोन पर कोई जवाब नहीं दे पाया. आखिर क्या कहता  ? शहरी चकाचौंध और पत्नी की आधुनिक प्रवृत्ति और सोच ने उसे गांव जाने से रोक दिया था.

'' क्या हुआ ?'' तभी पत्नी ने पास आ कर उसे हिला कर पूछा  , '' अरे ! इस तरह धम् से जमीन पर क्यों बैठ गए. जैसे कोई मर गया हो !''

यह सुनते ही वह वर्तमान में लौट आया. उस के मुंह से केवल यही निकला, '' आज मैं ने अपने एक पवित्र रिश्ते का दाह संस्कार कर दिया है. लगता है कि अब कभी मुंह उठा कर जी नहीं पाऊंगा,'' यह कहते हुए वह फफक कर रो पड़ा.

—————————————

(मौलिक और अप्रकाशित)

आ. भाई ओमप्रकाश जी, बहुत मार्मिक कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आप का हार्दिक आभार . आप को मेरी रचना अच्छी लगी. इस से मेरी मेहनत सार्थक हो गई. 

बहुत भावपूर्ण और मार्मिक रचना विषय पर, स्वार्थ मनुष्य को अँधा बना देता है. बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए आ ओम प्रकाश क्षत्रिय प्रकाश जी

आदरनीय विनय कुमार जी आप की समीक्षा बहुत सटीक और सार्थक होती है. आप का हार्दिक आभार आप को यह रचना अच्छी लगी. 

आदाब। एक नये कथानक पर विषयांतर्गत बढ़िया विचारोत्तेजक रचना के साथ आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई जनाब ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' जी। वसंत पंचमी पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ओबीओ परिवार को।

आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी आप को भी बसंत पंचमी की शुभकामनाएं । आप को मेरी लघुकथा अच्छी लगी । यह पढ़ कर लगा कि  मेरी मेहनत सार्थक हो गई।

बहुत जी मर्मस्पर्शी और कसी हुई लघुकथा कही है आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय भाई जी. बहुत-बहुत बधाई प्रेषित है.

आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई साहब, आप का मार्गदर्शन हमारे लिए प्रेरक और दिशा बोध होता है । आप को मेरी लघुकथा मार्मिक लगी, यह जानकर अच्छा लगा । हार्दिक आभार आपका ।

बहुत मार्मिक एवं हृदय को छू लेने वाली रचना के लिए हार्दिक बधाई आ0

हार्दिक बधाई आदरणीय भाई ओम प्रकाश जी।बहुत ही लाज़वाब और हृदय स्पर्शी लघुकथा। कुछ लोग जरूरत और समय के हिसाब से रिश्ते बदलते रहते हैं।

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आप की प्रतिक्रिया जाने क्यों मुझे अपनीअपनी सी लगती है । आप का हार्दिक आभार और धन्यवाद प्रतिक्रिया के लिए।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
10 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
57 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service