For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- हाँ में हाँ लोग जो होते हैं मिलने वाले

2122  1122  1122  22

हाँ में हाँ लोग जो होते हैं मिलाने वाले
हैं पस-ए पुश्त मियाँ ज़ुल्म वो ढाने वाले

अपने चहरे के उन्हें दाग़ नज़र आ जाते
देखते ख़ुद को जो आईना दिखाने वाले

पाप धुलते नहीं इस तरह बता दो उनको
हैं जो कुछ लोग ये गंगा में नहाने वाले

हो क़फ़स लाख वो फ़ौलाद का लेकिन यारो
रोक सकता नहीं उनको जो हैं जाने वाले

आपसे वादा निभाएँगे भला वो कैसे
वादा ख़ुद का न कभी ख़ुद से निभाने वाले

आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही
भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले

डाल कर आग में घी अपना मज़ा लेते हैं
'नाथ' हैं दो को जो ये चार बताने वाले

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 846

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on July 22, 2020 at 4:46pm

आद0 रवि शुक्ल जी सादर प्रणाम। ग़ज़ल पर आप आये, यह हमारी खुदक़िस्मती है। बहुत बहुत आभार आपका। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on July 22, 2020 at 4:45pm

आद0 अमीरुद्दीन साहब सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बेहतरीन इस्लाह के लिए दिली आभार। अवश्य अमल करूँगा।

Comment by Ravi Shukla on July 21, 2020 at 12:04pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'जी , इस शानदार ग़ज़ल पर आपको दिली मुबारक बाद पेश करता हूँ। दूसराशेर बहुत अच्छा हुआ है 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 21, 2020 at 12:24am

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब आदाब, इस शानदार ग़ज़ल पर आपको बारहा दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

//आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही

भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले//   जनाब ऊला में 'प' को 'पर' कर लीजिए जो एक साकिन की छूट आप लेना चाहते हैं ग़ज़ल पढ़ते वक़्त 'र' का 'ह' में लोप हो जायेगा। सानी में 'भूक़े' से नुुक़्ता हटा लीजियेगा। 

शैर "अपने चहरे के उन्हें दाग़ नज़र आ जाते

       देखते ख़ुद को जो आईना दिखाने वाले"    .... और 

      "हो क़फ़स लाख वो फ़ौलाद का लेकिन यारो

        रोक सकता नहीं उनको जो हैं जाने वाले"    लाजवाब हैं।  सादर। 

Comment by नाथ सोनांचली on July 20, 2020 at 8:56pm

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदयतल से स्वागत। ममनून हूँ आपका।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 20, 2020 at 6:21pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।बेहतरीन गज़ल।

पाप धुलते नहीं इस तरह बता दो उनको
हैं जो कुछ लोग ये गंगा में नहाने वाले

आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही
भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले

Comment by नाथ सोनांचली on July 19, 2020 at 5:33pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया हेतु शुक्रियः

Comment by नाथ सोनांचली on July 19, 2020 at 5:33pm

आद0 रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर अभिवादन। वाकई में छूट गया था । अब सहीह हो गया है। बहुत बहुत आभार आपका

Comment by नाथ सोनांचली on July 19, 2020 at 5:31pm

आद0 चेतन प्रकाश जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया के लिए ममनून हूँ। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2020 at 2:43pm

आ. भाई सुरेन्द्र जी , सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service