For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक आयु के उपरान्त

प्रेम मुदित तुम्हारा लौट आना

गुज़रती साँसों को मानो

संजीवनी की बूटी से

साँस नई दे देना

स्नेह का यह फल मीठा

और अति आनन्ददायक था

सूने सूखे प्यासे ठूँठ को जैसे

एक आयु के बाद

कुछ घूँट पानी मिला

मेरा मन हँसा, फिर 

स्नेह की रिमझिम सोंधी गन्ध में

संध्यावेला में उगते तारों के संग 

झूमते-गाते कुछ और हँस दिया

इस नए हृदय-स्पन्दन को थपथपाते

बचपन की अधभूली लोरी को दुलारते

प्रसन्न था मैं, प्रसन्न था बहुत

पर  अपने अजनबी विचारों के बीच

तुमसे मिले गत-दुख-हर्ष के कारण

उलझाव था

और था द्वंद्व, द्वंद्व भी बहुत

कुछ ऐसा रहा देर तक मेरा मन

इतनी खुशी में भी

आसमान थामता हुआ

अस्वाभाविक सा डरा डरा

अक्षमता में साँसों पर पहरा देते

लड़ते-झगड़ते गिरते फिर उठते

मेरे भाव-वाचक विचारों पर

होनी के ज़ोरदार धक्के से उठी धूलि में

कराहती अनगिनत हलचल में

इस शिशु-मन पर

किसको पता है कब क्या गुज़रे

अत: इससे पहले कि हो एक और 

घना तम-प्रसार

एक और सोच, हो एक और अफ़सोस

आज की सच्चाई को मांजते-संवारते

वर्तमान की कोमल छाया तले

हँस ले मेरे मन, तू खिलकर हँस ले आज

कि सच, कल का किसको पता है

                --------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 4:44pm

प्रिय भाई लक्ष्मण जी, सराहना के लिए आभारी हूँ।

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 4:43pm

प्रिय मित्र नरेन्द्र जी, सराहना के लिए आभारी हूँ।

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 4:42pm

प्रिय भाई समर जी, आपसे सदैव मनोबल मिला है, आभारी हूँ।

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 4:41pm

मित्र अरुण जी, मेरी रचना के प्रति आपके स्नेहमय शब्द मेरे लिए पारितोषिक हैं। हृदयतल से आभारी हूँ।

Comment by DR ARUN KUMAR SHASTRI on November 9, 2021 at 7:55pm

सुन्दर अति सुन्दर रोमान्स से भरी , एक एक शब्द सुन्दर रुप से आपने रचा है एसी रचना कभी कभार ही बनती है , मै इसको 7 /10  न . दूंगा 

Comment by Samar kabeer on June 21, 2021 at 2:29pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक उम्द: रचना से मंच को नवाज़ा है,आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by narendrasinh chauhan on June 8, 2021 at 6:59pm

khub sundar rachna sir ........

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 7, 2021 at 4:05pm

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
25 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
54 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
57 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service