For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस कुछ दिनों की बात है

बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा

मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा

समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है

अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा

बस कुछ ................................................

है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब

बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे अब

जो घर ना बैठे हम अब तो काल निगल जाएगा

अपनों के शवों पर हमको तड़पता छोड़ जाएगा

बस कुछ .........................................................

बहूत क़ैद किया हमने बेजुबान साथियों को

पूरा सोख लिया हमने प्रकृति के खज़ानों को

ये वक़्त है जागने का सोये तो निकल जाएगा

फिसलती डोर को जो न पकड़ा तो गिर जाएगा

बस कुछ ..............................................................

आज मानव खुदके ही मकड़जाल मे है उलझा

आग जिसने लगाई थी वही हाथ है आज झुंलसा

आज भी सुधर गए तो विनाश थम जाएगा

गर छुप पाए हम तो हर काम सम्हल जाएगा

बस कुछ ................................................................

विश्व सम्राट बनने की चाह मे विश्व को ही चबा बैठे

अपनी शक्ति आजमाने मे आपनो को ही गंवा बैठे

इंसानियत से जो रहे हम हर हैवान पिघल जाएगा

बर्बादियों का ये आलम एक रोज़ ठहर जाएगा

बस कुछ ....................................................................

है अपना धर्म प्राचीन आज सबने यही माना

क्यों जोड़े हाथ हम नितदिन सबने ये रहस्य जाना

जो स्वछ रह सके हम ये रोग भी थम जाएगा

खुदको जो बचा पाये तो ये देश भी बच जाएगा

बस कुछ ...................................................................

है पीढ़ियाँ जो आनी, क्या देखेंगी वो आगे

वीरान मौत का समंदर देखेंगे सब अभागे

मिलना जो आज ना छोड़ा मिल पाएंगे ना कभी हम

सांस की कमी से छोड़ेगे प्राण भी हम

प्रण ले लिया जो हमने कार्य सिद्ध हो जाएगा

बस कुछ .....................................................................

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

Views: 292

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mayank Kumar Dwivedi on April 3, 2022 at 9:15am

सुंदर सृजन आदरणीय

Comment by AMAN SINHA on April 1, 2022 at 9:30am

आदरणिय समर कबीर साहब, 

मैं दुसरों के रचनाओ को पढने एवंं टिप्पणी करने का सतत प्रयत्न करता हूँ। किंतु अति व्यस्तता के कारण उचित व्यवहार ना कर पाने का दोषी खुद को हीं मानता हूँ। 

Comment by Samar kabeer on April 1, 2022 at 6:48am

जनाब अमन सिन्हा जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें I 

आप अगर सीखने के उद्देश्य से ओबीओ पर आए हैं तो आपको मंच की दूसरी रचनाओं को पढना चाहिए और उन पर आई हुई टिप्पणियों को पढना चाहिए और अपनी टिप्पणी भी देना चाहिए I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
22 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service