For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (जबसे तुमने मिलना-जुलना छोड़ दिया)

22 22 22 22 22 2

जबसे तुमने मिलना-जुलना छोड़ दिया
यूँ लगता है जैसे नाता तोड़ दिया

मंदिर-मस्जिद के चक्कर में कितनों ने 

पुश्तैनी रिश्तों को यूँ ही तोड़ दिया 

मुझ पर है इल्ज़ाम कि मैं चुप रहता हूँ 

तुम ने भी तो लड़ना-वड़ना छोड़ दिया  

मुझको आगे आते जो देखा उसने 

ग़ुप-चुप अपनी राहों का रुख़ मोड़ दिया

मुझको बीच समंदर उसने जाने क्यों 

लहरों की बाहों में तन्हा छोड़ दिया 

अपना-पन का था जो इक ताना-बाना 

किस वहशी ने आकर ये झंजोड़ दिया 

हमसे फिर अब और न रोया जाता है 

क़तरा-क़तरा जो था अश्क निचोड़ दिया 

 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 12, 2022 at 6:25pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 12, 2022 at 6:24pm

आदरणीया अनिता मौर्या जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 10, 2022 at 6:03pm

वाह आदरणीय अमीरुद्दीन जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही...

Comment by Anita Maurya on July 8, 2022 at 6:47pm

क्या ख़ूब ग़ज़ल हुई है, वाह..

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 4, 2022 at 9:49pm

जनाब गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 4, 2022 at 9:52am

वाह शानदार गजल हुई है वाह .. 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 3, 2022 at 8:14am

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2022 at 7:29am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी समसामयिक गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service