आज मैखाने का दस्तूर अज़ब है साक़ी |
जाम दिखता नहीं पर बाकी तो सब है साक़ी ।
मयकशी के लिए अब मैं भी चला आया हूँ
तेरी आँखों से ही पीने की तलब है साक़ी|
भूल जाता हूं मैं दुनिया के सभी रंजो अलम
जाम नज़रों का तेरे हाय गज़ब है साक़ी|
अपनी आँखों से ही इक जाम पिला दे मुझको
तेरे मयख़ाने में ये आख़िरी शब है साक़ी|
तेरी चौखट की तो ये बात निराली लगती
जाति मजहब न कोई नस्ल–नसब है साक़ी|
दर्दो ग़म अपने भूलाने को चला आता हूँ
वरना पीने का कहां और सबब है साक़ी|
डॉ. बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’
स्वरचित व अप्रकाशित
Comment
ममनून हूँ..........
आपसब का आशीर्वाद मिला |
शुक्रिया |
अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय डॉ. बैजनाथ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।
जमाब बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्चा है, बधाई स्वीकार करें I
टंकण त्रुटियों की तरफ़ ध्यान दें I
मयकशी के लिए अब मैं भी चला आया हूँ
तेरी आँखों से ही पीने की तलब है साक़ी| अहा कमाल।
बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आदरणीय मिंटू जी। दाद क़ुबूल फरमाएं।
आदरणीय शर्मा जी बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल कही है...बह्र लिख देने से समझने में आसानी होती...सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online