For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 156 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा परवीन शाकिर साहिब: की ग़ज़ल से लिया गया है |

"उसने मगर बिछड़ते वक़्त और सवाल कर दिया'
मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन
2112 1212 2112 1212

बह्र-ए-रजज़ मुसम्मन मतव्वी मख़्बून
नोट:-इस बह्र के दूसरे और चौथे रुक्न में एक साकिन(यानी अतिरिक्त लघु) लेने की इजाज़त है ।

रदीफ़     : कर दिया

काफिया : आल की तुक कमाल,मुहाल,निढाल,हाल,हलाल,बहाल आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 23 जून दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24 जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 जून दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3132

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. चेतन जी 
.
ग़ज़ल के कई कड़े नियमों में एक नियम बहर यानी छंद का पालन भी है .. शेर तभी मान्य होता है जब दोनों मिसरे एक ही बहर में हों..
इस बहर का मात्रा संयोजन अन्य छंदों से कठिन है.
इस बहर की जब तक धुन मन में गूँजने न लगे, सिर्फ मात्रा गिनकर कहना मुश्किल है ..
इस प्रयास के लिए बधाई .. मंच पर उपलब्ध सामग्री का अध्ययन कीजिये 
सादर  

आदरणीय,, नीलेश जी, मुझे आपकी बात सारहीन और अतार्किक जान पड़ी ।बेहतर होता कि शेेर दर शेर आप लय भंग का उदाहरण देते ।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी 

बेबहर मिसरे 

होश ज़रा न खोया उसने सही जाल कर दिया
और सभी कुकरमुत्ते हैं वो मलाल कर दिया
खूब कमाई तुमने दौलत जहाँ काम कब आई
कौन यहाँ अपना है चेतन जो निहाल कर दिया
.
अर्थहीन मिसरे 
हार गये ख़ुदाया हम तो वो धमाल कर दिया
वक़्त खिलाफ हो गया उसने बवाल कर दिया
फाँस लगी वो हीर को दिल में निढाल कर दिया

छोड़ गये हमें अकेला शबे ग़़म अँधेरों तुम
टूट जड़ों से कब सके हमको हलाल कर दिया

वस्ल न होगी माना पर रूह मिलेगी रूह से
उसने मगर बिछड़ते वक्त और सवाल कर दिया

हो कहीं भी वो साज़िशें मुल्क.... तबाह होता है
हमने किया जो तबसिरा उनको हलाल कर दिया ।

प्रश्न कठिन जो रहबरों को हुए सौंपे औरों को

आशा है आप मेरी टिप्पणी में सार खोजने की जगह अपनी रचना का सार समझाने में और समय लगाएंगे ..
सादर 

आ. नीलेश जी धन्यवाद, आप अपनी समीक्षा को कृपया पुनः पढ़ेे । आपने मुझे सही साबित कर दिया । सादर

आ.
जैसा आपको उचित लगे .. अंतत: आपकी रचना है ..
सादर 

 / बेबह्र  मिसरे / 

आ. संज्ञान  लिया  गया है :

'होश ज़रा न खोया पर वो सही जाल कर दिया '

हैं वहाँ  सारे सिरफिरे अब वो बवाल कर दिया'

खूब  कमाया तुमने धन पर वो जहाँ  काम कब  आया'

कौन यहाँ अपना  सखा  जिसने निहाल कर दिया' 

आदरणीय चेतन प्रकाश जी मैं आदरणीय निलेश नूर की बात से सहमत हूँ

भाई, शिज्जु शकूर साहब, सहमत होना से अधिक आसान कुछ  नहीं होता। न अपना भला होता है,  दोस्त,  न दूसरों का ! बहरहाल,  शुक्रिया जनाब  !

आदरणीय चेतन जी नमस्कार

ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार कीजिये

गुणीजनों से सहमत

सादर

आदरणीय चेतन जी, अच्छी प्रयास हुआ। बधाई स्वीकार करें। 

2112 1212 2112 1212

तेग न उस के पास थी फिर भी कमाल कर दिया
उस ने अदू के सामने दूसरा गाल कर दिया /1

वो ही नगर वही सफ़र सब है वही रहा मगर
हम ने मुग़लसराय को दीनदयाल कर दिया /2

रास्ता कभी दिखा नहीं मंज़िलें बन गईं सराब
ज़िंदगी के सफ़र ने यूँ जीना मुहाल कर दिया /3

मय से ज़रा सुकूँ मिला रात में चैन आ गया
सुबह को हम ने दर्द को फिर से बहाल कर दिया /4

आख़िरी वक़्त में किया हम ने हिसाब तो दिखा
लम्हों से लिपटे रह गए राएगाँ साल कर दिया /5

पूछा जो साहू-कार ने गिरवी भला रखोगे क्या
मैंने बस उस के सामने मूँछ का बाल कर दिया /6

बरसों कहाँ रहा था वो इस का न दे सका जवाब
पर मेरे इंतिज़ार पर उस ने सवाल कर दिया /7

मैंने तो सोच रक्खे थे सारे जवाब ज़हन में
"उस ने मगर बिछड़ते वक़्त और सवाल कर दिया" /8

(मौलिक एवम अप्रकाशित)

आदरणीय संजय जी 

अच्छी ग़ज़ल हुई है .. बधाई स्वीकार करें 
रास्ता कभी दिखा नहीं .. रास्ता कभी के चलते मिसरा बेबहर हो रहा है 
राह कोई दिखी नहीं कर लें ...
अगर मानते हैं तो शेर 4, 5, 6 में तक़ाबुल ए रदीफ़ नामक दोष है... मैं स्वयं इसे नहीं मानता लेकिन प्रयास करता हूँ कि न हो .. यदि रखना ज़रूरी हो तो घोषणा कर के रखता हूँ ..आपकी चॉइस है 

पुन: बधाई 
सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद। जो आपने कहा है वैसा प्रयास…"
12 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते रहे इसमें दोनों पंक्तियॉं…"
13 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अपने दिल को हर घड़ी लाचार भी करते रहे (दिल दिया, देकर उसे लाचार भी करते रहे, दिल देने वाला ही लाचार…"
45 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"😂😂😂😂 जी ये भी सही कह रहें हैं आप। सौरभ जी आपका इंतज़ार है। 😁😁 ख़ैर तूफ़ान पर ये शेर देखें: आसाँ नहीं…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शेर से यह ध्वनित नहीं हाे रहा है कि सभी देवता या कोई देवता विशेष का आचार विचार हमेशा ही व्यभिचार का…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपके अनुभव को विचार में लेते हुए आपकी ग़ज़ल को एक अन्य दृष्टिकोण से देख रहा हूँ मैं और आपके शेर में…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सर जी, Don't shoot the Messenger  सादर"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी, ज़मीन पर आँधी आती है। तूफ़ान समुंदर में आते हैं। यह बात मुझे 10 साल पहले समर सर ने समझाई…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नीलेश जी आप शायद मुझे 5-6 साल से इन मंच पर देख रहे होंगें। मेरी भी आदत किसी बात को व्यक्तिगत रूप से…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. ऋचा जी"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. गजेन्द्र जी"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश जी, विस्तृत व्याख्या के मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service