आदरणीय साथियो,
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रचना पटल आपकी उपस्थिति और यूँ हौसला अफ़जाई हमें निरंतर विधागत लिखने की प्रेरणा देता है।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी।बहुत सुन्दर लघुकथा।
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज़वीर सिंह जी।
वर्तमान परिदृश्य में ऐसी घटनाओं को आधार बना कर उत्तम सृजन किया आदरणीय भाईसाब उस्मानी जी। रचना बहुत कसी हुई और रोचक बनी है। संदेश भी अच्छा निहित है।
रचना पटल पर समय देकर अपनी राय से अवगत कराने और हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहेदिल से शुक्रिया जनाब अजय गुप्ता 'अजेय' साहिब।
दूसरा अंक -पत्र
'..... तो बी. ए. की परीक्षा आपने दोबारा क्यों पास की? ' इंटरव्यू बोर्ड के अध्यक्ष ने अंतिम सवाल किया।
'क्योंकि पहली बार मैं ग्रेस से पास हुआ था। ' चंदू ने जवाब दिया।
'मिस्टर चंदन, उसके पहले भी तो रियायत (ग्रेस) से आपने परीक्षाएँ पास की होंगी। आपलोगों का कट ऑफ तो हमेशा ही नीचे रखा जाता है। ' अध्यक्ष ने फिर सवाल कर दिया।
' जी। पर मैं हमेशा सामान्य कट ऑफ से ऊपर रहा हूँ। रिकॉर्ड आपके पास है ।'चंदन दास छूटते ही बोला।
'अच्छा! ' बोर्ड -सदस्य एक साथ बोल पड़े।
'जी। रियायत पीढ़ियों से चली आ रही थी। मैंने ठुकरा दी। ' चंदन जोश में बोला।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
सादर नमस्कार। पीढ़ियों से चली आ रही रिवायत/परम्परा (ज़िद/माँग/भावात्मक शोषण/प्रलोभन/मानसिकता) को तोड़ने की बात उभारती सकारात्मक संदेशवाहक लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। रियायत, रिवायत की रियासत से परे।
आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी। जी, ताकि रियायत रिवायत न बन जाये।
आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर -सकारात्मक संदेश देती कथा हुई है। हार्दिक बधाई।
आपका हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण जी।
हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बेहतरीन लघुकथा।
आपका आभार आदरणीय तेजवीर जी।
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