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दिख रहे हैं हजार आंखों में

तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में

मैनें देखा ख़ुमार आँखों में
इश्क़ का बेशुमार आँखों में

इश्क है होशियार आँखों में
इश्क़ फिर भी गवार आंखों में


तेरी गलियों को छान कर जाना
क्या-क्या होता है यार आँखों में।

होठ बेशक हँसी से हैं फैले
दर्द पर बरकरार आँखों में।


'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 30, 2023 at 10:59am

ग़ज़ल अच्छी लगी राणा साहब...आदरणीय सौरभ जी की समीक्षा ज्ञान बर्धक है।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 5, 2023 at 9:14pm

आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार।

नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच कहूँ तो मुझे नुक्ते का रत्ती भर भी ज्ञान नहीं है। मैं गूगल इंडिक से टाइप करता हूँ। यह जैसे उठा लेता है टाइपो हो जाता है। कागज पर लिखते हुए मुझे ध्यान नहीं कि मैंने कभी नुक्ते का प्रयोग किया हो।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 17, 2023 at 1:45pm

ख़फ़ीफ मुसद्दस मख़बून अबतर // 2122 1212 22/112 

तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में  ...           वाह 

मैनें देखा ख़ुमार आँखों में   ............. खुमार के ख में नुख्ता क्यों है ? 
इश्क़ का बेशुमार आँखों में  ..           वाह 

इश्क है होशियार आँखों में  ..           इश्क़ के क में नुख्ता क्यों नहीं है ? 
इश्क़ फिर भी गवार आंखों में            


तेरी गलियों को छान कर जाना
क्या-क्या होता है यार आँखों में .......   क्या की मात्रा नहीं गिरायी जाती. यह गुरु या गाफ़ में ही होता है. 

होठ बेशक हँसी से हैं फैले ...            फैले हैं कर देने कोई समस्या नहीं थी. 
दर्द पर बरकरार आँखों में।


'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।  ..        सही .. बढ़िया .. 

नुख्ते का या तो उचित ढंग से प्रयोग करें, या न करें। सर्वोपरि, किसी वर्ण के साथ इसका अपने हिसाब से प्रयोग न करें, आदरणीय। 

गजल कहने के क्रम में शब्दों का उर्दू वर्णॊं वाला स्वरूप तनिक आवश्यक नहीं है। उर्दू शब्दों का अनायास प्रयोग किसी प्रस्तुति की सुन्दरता हो सकती है। लेकिन उनकी मान्य बुनावट ही प्रयुक्त हो। 

शुभातिशुभ

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 9, 2023 at 3:27pm

S

सादर आभार आदरणीय सुशील सरना जी

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2023 at 8:21pm

वाहहहहहह आदरणीय जी बड़े ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सर ।

हार्दिक बधाई सर ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 4, 2023 at 8:02pm

आदरणीय धामी जी सादर आभार उत्साहवर्धन के लिए

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2023 at 2:37pm

आ. भाई सतविन्द्र जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

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