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माननीय साथियो,
सादर वन्दे !


दिनांक ७ अक्टूबर से ९ अक्टूबर २०११ तक ओबीओ के मंच से आयोजित "ओबीओ लाइव महा उत्सव" अंक १२, जिसका विषय "बचपन" था, का संचालन ओबीओ कार्यकारिणी के एक कर्मठ सदस्य श्री धर्मेन्द्र शर्मा जी ने किया ! यह आयोजन कई मामलों में एक रंगीन और हसीन गुलदस्ते की तरह रहा, जहाँ दिए गए विषय (बचपन) पर एक से बढ़कर एक रचनायें पढ़ने को मिलीं ! बचपन का ज़िक्र आते ही एक बेफिक्री और मस्ती का ज़माना आँखों के सामने बरबस आ जाता है ! लेकिन रचनाकार सिर्फ इसी दायरे ही में नहीं बंधे, बल्कि बचपन के हरेक रंग को उन्होंने छूआ ! खट्टी-मीठी बातों के इलावा ज़हरीले कड़वे अनुभवों को भी कलमबंद किया गया ! जहाँ बचपन की उंगली पकड़ अतीत की गलियों की सैर हुई, वहीँ बहुत सी विसंगतियों की भी बात हुई ! यहाँ बचपन तुतला भी है, नटखट भी है और शरारती भी ! कहीं बचपन लेमनचूस का आनंद लेता है तो कहीं बाबा का हाथ पकड़ इतवारी हाट में मस्त है तो कहीं पेड़ से गिर कर हाथ-पाँव भी तुड़वा रहा है ! किसी रचनाकार ने बचपन को कल्पना में देखा तो किसी ने अगली नस्ल की आँखों में उसको ढूंढा! प्रस्तुत रचनाओं में तुतली ज़ुबान वाले बचपन "हर ग़म से बेगाना" ही नहीं दिखाया गया, बल्कि "हर ग़म से दो चार" भी बताया गया ! यहाँ बचपन ढाबे पर बर्तन भी घिसता है तो कहीं बचपन से महरूम सीधा अधेड़ अवस्था को भी प्राप्त हो रहा है ! जिस गुलदस्ते का मैंने ज़िक्र किया उसमे ग़ज़ल भी है, खुली नज़्म भी है, दोहे भी हैं, चौपाईयां भी, घनाक्षरी छंद भी,  कुण्डलिया भी, सवय्या भी है तो आल्हा एवं कह-मुकरी के दुर्लभ सुगन्धित पुष्प भी !


इस आयोजन के संचालक भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी हाथ पर प्लास्टर बन्दे होने के बावजूद भी जिस तरह एक मिशन समझ कर पूरे तीन दिनों तक मैदान में डटे रहे, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है ! अक्सर देखा यह गया है कि टिप्पणियाँ केवल वे ही लोग दिया करते हैं जिनकी अपनी कोई रचना आयोजन में शामिल होती है, लेकिन ओबीओ के इस महा-उत्सव में आदरणीय संजीव सलिल जी, श्री प्रीतम तिवारी जी, श्री बृजभूषण चौबे जी तथा श्री आशीष यादव जी समेत कई साथियों ने बिना कोई रचना पोस्ट किए भी जिस तरह रचनाधर्मियों का अपनी सारगर्भित टिप्पणियों से उत्साहवर्धन किया, वह वन्दनीय है ! इन ऑनलाइन आयोजनों में हर बार नये साथी हमारे साथ जुड़ते रहे हैं, इस बार श्रीमती मोहिनी चोरडिया जी एवं आदरणीय प्रमोद वाजपेई जी  जिस प्रकार पूरे आयोजन में अपनी रचनाओं व टिप्पणियों से सरगर्म रहीं, वह इस मंच के लिए हर्ष का विषय है !
 

इस आयोजन में अन्य बातों के इलावा जो बात सब से अहम रही वह थी प्रस्तुत रचनाओं की बेहतर गुणवत्ता ! अक्सर मुशायरे के इलावा बाकी आयोजनों को दर्जा-ए-दोयेम या सोयेम की तरह लिया जाता रहा है, तथा रचनाओं में वो परिपक्वता नहीं होती थी जो होनी चाहिए थी ! मगर इधर कुछ समय से इस दिशा में बहुत प्रगति हुई है तथा बहुत उच्च स्तरीय रचनायें पढ़ने को मिली हैं ! कोई भी रचना विषय से भटकी नहीं, ओर सभी ने विषय की आत्मा तक पहुँच कर लिखने का प्रयास किया ! श्री तिलक राज कपूर की शानदार ग़ज़ल से प्रारंभ हुआ यह महा-उत्सव श्री गणेश बागी जी की बहुत ही प्यारी सी छन्दमुक्त कविता से परवान को पहुँचा !


बड़े फख्र से कह सकता हूँ कि तीन दिन में १०७० प्रविष्टियों सहित "ओबीओ लाइव महा उत्सव" अंक १२ का सफल आयोजन ओबीओ के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुआ है ! इस सफल आयोजन के लिए मैं सभी रचनाकारों एवं पाठकों का तह-ए-दिल से आभार व्यक्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि भविष्य में भी आप सब का आशीर्वाद एवं सहयोग यूँ ही प्राप्त होता रहेगा ! इस आयोजन को बड़ी मुस्तैदी ओर कुशलता से संचालन के लिए भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी को विशेष रूप से बधाई देता हूँ ! अपनी सकारात्मक ऊर्जा से पूरे आयोजन को रोशन करने वाले आदरणीय सौरभ पांडेय जी को भी मेरा सलाम ! अंत में ओबीओअधीश श्री गणेश बागी जी को एक और  सफल आयोजन के लिए मुबारकबाद देता हूँ !  सादर !


 योगराज प्रभाकर
(प्रधान सम्पादक)  

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आदरणीय योगी भैया प्रणाम,

इस त्वरित रपट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं बधाई........इस बार बिषय ऐसा था कि सभी अपने बचपन के दिन में वापस जाकर लिखने लगे...आयोजन की पूरी अवधी बहुत ही बढ़िया रही.....एक से बढ़कर रचना आई कई लोगों की....और बहुत सारे नए पाठक और रचनाकार भी देखने के लिए.....

इस सुन्दर आयोजन की सफलतापूर्वक समापन के ओपन बुक्स ऑनलाइन के प्रबंधन टीम एवं सम्मानीय सदस्यों को बहुत बहुत बधाई........
आशा है आगे भी ऐसेही रिकॉर्ड तोड़ आयोजन को आप सभी सफल बनाते रहेंगे......

आप सभी का ही एक अपना भाई,
प्रीतम तिवारी प्रीत
रांची

08051853108

सही कहा प्रीतम भाई, बचपन विषय पर यह महा-उत्सव बहुत ही आनंदकारी रहा !

आदरणीय श्री योगराज जी इस विस्तृत और सारगर्भित रपट हेतु हार्दिक बधाई ! निश्चित ही ओ बी ओ इन आयोजनों के ज़रिये अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज करा रहा है | सदस्यों की सार्थक सक्रियता उत्साहवर्धक है |  इस आयोजन की सफलता हेतु सभी का अभिनन्दन और बधाई !!

आपकी हौसला अफजाई का तह-इ-दिल से शुक्रिया अरुण भाई !

संपादक महोदय,
           बहुत प्यारी और खूबसूरत है आपकी 'संपादकीय रपट' जिस खूबी से आपके पूरे 'महोत्सव' को अपनी कलम की रवानी से क़ैद किया है .. यकीनन वो तश्कील्कारों के जोश को दोबाला करेगी..  OBO  जिंदाबाद, मुदीर ए आला जिंदाबाद.

रिपोर्ट पसंद फरमाने के लिए शुक्रिया इमरान जी ! जय ओबीओ !

इस गति से समापन की संक्षेपण। अद्भुत। बधाई।

सादर आभार !

इस त्वरित, सारगर्भित एवं सम्पूर्ण रपट के लिए प्रधान संपादक को महोदय का बहुत बहुत आभार

आपका बहुत बहुत स्वागत है धर्मेन्द्र भाई !

योगराज जी,

हम सब बहुत आतुरता से आपकी सम्पादकीय रपट का इंतज़ार करते हैं जो हर बार की तरह इस बार भी बहुत ही रोचक व जोरदार रही. आपकी इस क्षमता पर आपको बहुत बधाई ! 

आपका बहुत बहुत आभार शन्नो जी !

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