For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभी तक गई नहीं तुम्हारी  आदत 

हर जगह मेरा नाम लिखने की !
वो भी दिन थे 
जब तुम रंग बिरंगी चॉक से 
लिख देते थे मेरा नाम श्यामपट्ट पर 
और उपहास के पात्र बनते थे हमदोनो!
कभी मेरे घर के इर्द गिर्द घूमते हुए 
दीवारों पर 
कभीचुपके से फेंके हुए मेरे आँगन में 
अपने ख़त में ,
 लिख देते थे खून से मेरा नाम !
फिर तुमने उस दिन
 रस्मो रिवाजो की मौजूदगी में 
लिख दिया था मेरा नाम हिना से 
अपनी हथेली पर !
और न जाने कितनी चांदनी रातों में 
लिख देते थे चाँद पर उंगली से मेरा नाम !
देखो आज भी उस पत्थर पर
जिसके नीचे मैं सोई हूँ  
लिख रहे हो रंगहीन आंसुओं से 
मेरा नाम !
तुम कहते हो कि 
तुम्हारे रंग खो गए हैं कहीं!
मेरी गुजारिश है तुमसे 
कि आज से तुम अपने दिल पर 
कोई नया नाम लिखो 
धीरे धीरे खोये रंग भी लौट आयेंगे 
और मेरी रूह को चैन भी  मिल जाएगा !
 

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 17, 2012 at 1:28pm

Saurabh ji dil se aabhari hoon aapke is amoolya vishleshan ke liye.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2012 at 9:54pm

राजेश कुमारी जी, निश्शब्द कर दिया आपने ! प्रगाढ़ प्यार को प्रस्तुत करती पवित्र पंक्तियाँ !!  सांत्वना का कितना निश्छल स्वरूप !!!

आपकी संवेदना ने आज अभिभूत कर दिया, आदरणीया.  इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर सादर बधाइयाँ !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 16, 2012 at 5:31pm

hardik aabhar Aasha ji.

Comment by asha pandey ojha on February 16, 2012 at 4:11pm

smrtiyon ka anuraag bhi azab hai .. our aapki lekhni bhi gazb hai 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 5, 2012 at 4:39pm

aabhar Seema ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 4, 2012 at 9:09am

RAjbundeli ji aur Aasutosh ji bahut bahut shukriya.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 7:54pm

सुन्दर रचना हेतु बधाई,,,,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2012 at 12:12pm

अरुण जी शुक्रिया रचना ने आपकी भावनाओं को छुआ

Comment by Arun Sri on February 3, 2012 at 12:08pm
देखो आज भी उस पत्थर पर
जिसके नीचे मैं सोई हूँ  
लिख रहे हो रंगहीन आंसुओं से 
मेरा नाम !
तुम कहते हो कि 
तुम्हारे रंग खो गए हैं कहीं!
मेरी गुजारिश है तुमसे 
कि आज से तुम अपने दिल पर 
कोई नया नाम लिखो 
धीरे धीरे खोये रंग भी लौट आयेंगे 
और मेरी रूह को चैन भी  मिल जाएगा !
शब्दातीत अनुभूति हुई ! इस कविता के लिए वाह वाह कहना ठीक न होगा ! एक गहरी ख़ामोशी , आखों के भीगते कोर और कुछ भी नही ! बस शून्य सा सब कुछ !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2012 at 11:31am

bahut bahut shukriya Avinash ji ki meri rachna ko tumne dil se padha aur mahsoos kiya.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
53 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
9 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service