नमस्कार साथियों,
"चित्र से काव्य तक" अंक -१७ प्रतियोगिता का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया था | परन्तु ओ बी ओ के नियमानुसार श्री दिनेश रविकर जी पिछली प्रतियोगिता अंक -१६ में तृतीय स्थान के विजेता होने के कारण उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर थी चूकि उन्होंने अपनी रचना पर 'प्रतियोगिता से अलग' नहीं लिखा था जिससे जनित त्रुटिवश उनकी रचना को प्रथम स्थान दे दिया गया था | इस भूल हेतु ओ बी ओ प्रबंधन खेद व्यक्त करता है तथा इसे सुधारते हुए संशोधित निर्णय निम्नलिखित प्रकार से पोस्ट किया जा रहा है...
साथियों ! पावस ऋतु के इस मौसम में भी अंगार बरसाती हुई, लगातार तीन दिनों तक चली इस अनोखी प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रस्तुत चित्र को, हमारे प्रतिभागियों ने सनातनी छंदों के माध्यम से, विभिन्न नवआयामों में स्वरुचि
अनुसार परिभाषित किया है | जिसके निमित्त सभी ओबीओ सदस्य भरपूर बधाई के पात्र हैं| इस बार की प्रतियोगिता का शुभारम्भ सुप्रसिद्ध हास्यकवि श्री अलबेला खत्री जी की शानदार घनाक्षरी से हुआ जिसमें सार्थक प्रतिक्रियाओं की मानो बाढ़ ही आ गयी......... तद्पश्चात आदरणीय उमाशंकर मिश्र जी की कुंडलिया ने जमकर धूम मचाई उनके द्वारा रचे गए अन्य छंद भी कुछ कम नहीं रहे ....तद्पश्चात आदरणीय आलोक जी की कुंडली ने कुछ ऐसा धमाल मचाया कि यह आयोजन प्रतिक्रिया छंदों से मालामाल हो गया | इसी प्रकार अनेक साहित्यकारों ने अपने अपने छंदों से इस चित्र को परिभाषित करने का सफल प्रयास किया | इस प्रतियोगिता के अंतर्गत अधिकतर घनाक्षरी, सार छंद (छन्न पकैया), दोहा, कुंडलिया , चौपाई व कुकुभ आदि विधाओं में शानदार छंद प्रस्तुत किये गये| इस आयोजन में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीय अलबेला खत्री, उमाशंकर मिश्र, आदरणीय योगराज प्रभाकर , सौरभ पाण्डेय, संजय मिश्र ‘हबीब’, , अरुण कुमार निगम, अविनाश एस बागडे, दिनेश रविकर, तथा आदरेया राजेश कुमारी, आदि ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों के मध्य परस्पर संवाद कायम रखा तथा तथा प्रतिक्रियाओं में छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर व आकर्षक बना दिया | ओ बो प्रबंधन व कार्यकारिणी सदस्यों ने भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की गयी जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही |
‘प्रतियोगिता से बाहर’ श्रेणी में आदरणीय आलोक सीतापुरी, योगराज प्रभाकर, श्री संजय मिश्र हबीबजी, व उमाशंकर मिश्र आदि की रचनाएँ उत्कृष्ट कोटि की रहीं जिन्हें ओ बी ओ सदस्यों से भरपूर सराहना प्राप्त हुई | आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, आदरणीय गणेश जी बागी जी, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, के साथ अलबेला खत्री की काव्यात्मक टिप्पणियों खासतौर पर कुंडलिया पर कुंडलिया ने प्रतियोगिता के उत्साह को न केवल चौगुना किया बल्कि सदस्यों का मार्ग भी प्रशस्त किया|
प्रसन्नता की बात यह भी है कि यह प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है| अब वह दिन दूर नहीं जब ओबीओ पर मनचाही विधा में मनभावन छंदों की चहुँ ओर बरसात होगी |
इस यज्ञ में काव्य-रूपी आहुतियाँ डालने के लिए समस्त ओबीओ मित्रों का हार्दिक आभार...
प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...
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प्रथम पुरस्कार रूपये १००१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
इस बार प्रथम स्थान : पर श्री उमाशंकर मिश्र जी की कुंडलिया प्रतिष्ठित हुई है |
(१)
मुट्ठी में सूरज लिए, अंगारों में जान|
क्रांति बीज है पल रहा, जाग रहा इंसान||
जाग रहा इंसान, भ्रष्टता, दूर भगाओ|
जनगण हैं तैय्यार, अनल भर मुट्ठी लाओ||
धुआँ हो रही आग, पिये हम विष की घुट्ठी|
देंगे अब बलिदान, भींचते सब हैं मुट्ठी||
-- उमाशंकर मिश्र
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द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
द्वितीय स्थान ; पर कुमार गौरव अजीतेन्दु जी का घनाक्षरी छंद विराजमान हैं |
इन्कलाब गाने वाली, गोरों को भगाने वाली,
शूल को हटाने वाली, आग ये पवित्र है |
भोर नयी लाने वाली, चेतना जगाने वाली,
मार्ग को दिखाने वाली, आग ये पवित्र है |
कर्म को कराने वाली, धर्म को निभाने वाली,
शीश को उठाने वाली, आग ये पवित्र है |
सत्य को जिताने वाली, झूठ को हराने वाली,
भ्रष्ट को मिटाने वाली, आग ये पवित्र है ||
-- कुमार गौरव अजीतेन्दु
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तृतीय पुरस्कार रुपये २५१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala
A leading publishing House
तृतीय स्थान : श्री दिलबाग विर्क के कुंडलिया छंद को जाता है |
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भारी पडता प्यार पर, नफरत का व्यापार
जहर भरा है सोच में, मुठ्ठी में अंगार ।
मुठ्ठी में अंगार, चाहते आग लगाना
देखो कैसी राह, चला है आज जमाना ।
लड़-लड़ मरते लोग, सुखों को ठोकर मारी
नफरत करके विर्क, चुकाई कीमत भारी ।
-- दिलबाग विर्क
प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओबीओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व साधुवाद...
उपरोक्त प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के विजेताओं की रचनाएँ आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१८ के लिए प्रतियोगिता से स्वतः ही बाहर होंगी | ‘चित्र से काव्य तक’ प्रतियोगिता अंक-१९ में वे पुनः भाग ले सकेंगे !
जय ओ बी ओ! जय हिंद!
अम्बरीष श्रीवास्तव
अध्यक्ष,
"चित्र से काव्य तक" समूह
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आदरणीय अग्रज अम्बरीश जी, आपको और समस्त ओ बी ओ परिवार को मैं दिल से धन्यवाद देता हूँ | आपने जो प्यार और सम्मान दिया है वो मेरे लिए मूल्यवान है | मैं आदरणीय सर्वश्री गणेश जी सर, योगराज सर, गुरुदेव सौरभ सर, संजय मिश्रा सर, धर्मेन्द्र सर, अविनाश बागडे सर, सतीश मापतपुरी सर सहित पूरे ओ बी ओ परिवार का आभारी हूँ | आपलोगों का स्नेह मिलता रहे इसी इच्छा के साथ एक बार फिर से आप सभी का धन्यवाद |
स्वागत है भाई कुमार गौरव जी ! इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त करने हेतु आपको हार्दिक बधाई ! सस्नेह
कुमार गौरव भाई ! आपको हार्दिक बधाई..
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अविनाश सर........
ओ बी ओ प्रबंधन का इस सम्मान के लिए बहुत-बहुत आभार
धन्यवाद भाई दिलबाग जी | बहुत-बहुत बधाई !
बहुत बहुत हार्दिक बधाई उमाशंकर मिश्र जी ,कुमार गौरव अजीतेंदु जी ,दिलबाग विर्क जी
आदरणीया राजेश जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद........
आदरणीया सादर आभार
हार्दिक बधाई उमाशंकर मिश्र जी ,कुमार गौरव अजीतेंदु जी ,दिलबाग विर्क जी
आपका हार्दिक आभार आदरणीय अविनाश बागडे सर.........
धन्यवाद अविनाश जी
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