सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ
हम सब हो कर इकट्ठे बीच मैदान में जाते हैं
प्रार्थना के पश्चात वे हमको खेल खिलवाते हैं
गुरू हमारे बड़े प्यारे प्रेम से हमें पढाते हैं
उज्जवल भविष्य कैसे बने नीति हमें बतलाते हैं
रहते हम सभी घुले मिले ज्यों डाली में लगते फूल
Tags:
बहुत सुन्दर!
स्नेही ब्रजेश जी
३० मात्रा पर रचना लिखने का प्रयास किया है.
बालमन कहाँ तक पकड़ पाया ये जानना है.
सादर आभार
आदरणीय प्रदीप जी इस विधा को तो मैं भी अभी सीख ही रहा हूं इसलिए कोई टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं होगा क्योंकि संभव है कि मुझसे भी त्रुटि हो जाए।
फिर भी आपका आदेश था तो मैंने मात्रा गणना का प्रयास किया। इसी बहाने मैं भी सीख जाउंगा। मेरे हिसाब से पहली दो पंक्तियों में 30 मात्रायें हैं। शेष की मात्रा गणना निम्नवत है। मैं यह नहीं कह सकता कि मेरी मात्रा गणना में कोई त्रुटि नहीं है। आपको सही मार्गदर्शन गुरूजनों से ही प्राप्त हो सकेगा।
विद्यालय मंदिर के जैसा, रोज वहाँ मैं जाता हूँ
सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ
हम(2) सब(2) इकट्ठे(5) होकर(4) बीच(3) मैदान(5) में(2) जाते(4) हैं(2)=29
प्रार्थना(6) के(2) तुरंत(4) बाद(3) वे(2) खेल(3) हमें(3) खिलवाते(6) हैं(2)=31
गुरुजन(4) हमारे(5) बड़े(3) प्यारे(4) प्रेम(3) से(2) हमें(3) पढाते(5) हैं(2)=31
उज्जवल(5) भविष्य(4) हो(2) कैसे(4) की(2) नीती(4) हमें(3) बतलाते(6) हैं(2)=32
रहते(4) हम(2) सब(2) घुल(2) मिल(2) ऐसे(4) ज्यों(2) डाली(4) में(2) लगते(4) फूल(3)=31
संग(3) खाते(4) लड़ते(4) झगड़ते(5) शाम(3) को(2) जाते(4) सब(2) भूल(3)=30
जी ब्रजेश जी
सस्नेह
कोपी जाँच जाए. क्या सुझाव मिलता है. शब्दों को कैसे बदला जाए. की जानकारी मिलेगी. या इसको ही ठीक मान लिया जायेगा. देखते हैं. यहाँ हम सब मिल कर हि सीखते सिखाते हैं. ओ बी ओ कि परिपाटी निराली है.
जय ओ बी ओ.
स्नेही ब्रजेश जी सादर आभार,
आदरणीया प्राची जी
सादर अभिवादन
३० मात्रा पर रचना लिखने का प्रयास किया है.
बालमन कहाँ तक पकड़ पाया ये जानना है.
पहली बार मात्रा साधी हैं. गणना कैसी है.
आभार
सुबह पहुँच सबसे पहले टीचर को शीष नवाता हूँ ------------३०
हम सब हो कर इकट्ठे बीच मैदान में जाते हैं --------३०
प्रार्थना के पश्चात वे हमको खेल खिलवाते हैं ---३०
गुरू हमारे बड़े प्यारे प्रेम से हमें पढाते हैं ----३०
उज्जवल भविष्य कैसे बने नीति हमें बतलाते हैं ---३०
रहते हम सभी घुले मिले ज्यों डाली में लगते फूल --३०
आदरणीया राजेश कुमारी जी
सादर
आपका असीम स्नेह सदेव मेरा मार्ग प्रशश्त करता रहा है. मात्रा का पहला प्रयास था, आपने रास्ता दिखया. रचना शुद्ध हो गयी.
आभार.
आगे भी प्रोत्साहन देते रहिएगा
संशोधित रचना प्रस्तुत है, सादर
आदरणीय़ प्रदीप जी, जिस तरह से टिप्पणियों में मात्रिकता पर संवाद बना है वह अत्यंत ही आश्वस्तिकारक है.
आप गणना की इस विधा को हृदयंगम कररचनाकर्म करें ताकि बच्चों की रचना सप्रवाह हो. सप्रवाह रचना उन्हें अधिक भाती भी है.
इसके अलावे अंतर्गेयता के लिए भी कुछ नियम हैं ताकि शब्द प्रवाहयुक्त हों.
सादर
अंतर्गेयता के लिए भी कुछ नियम हैं
आदरणीय गुरुदेव जी
सादर अभिवादन
अवगत करा दीजियेगा समय मिलने पर सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |