आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर वन्दे.
ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 31 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले 30 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 30 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है.
इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
विषय - "मद्यपान निषेध "
आयोजन की अवधि- शुक्रवार 10 मई 2013 से रविवार 12 मई 2013 तक
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)
अति आवश्यक सूचना : ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 31 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में तीन । नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी ।
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 मई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा )
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आ0 अरून अनन्त जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
सब रोग ग्रसे अति दोष लगे, जब लोग कहें यह पाप करे।
अपनी बिटिया सपना ममता, अस हाय कहें नित रोज डरे।।
बहुत सुंदर!!! केवलप्रसाद जी, हार्दिक बधाई...
आ0 रामानी जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर दुर्मिल सवैया पर सुन्दर प्रयास है "ध्रुमपान" का सही शब्द है "धुम्रपान" सादर.
आ0 रक्ताले सर जी, जी सर, ‘क्र, म्र‘ आदि साफ नजर भी नहीं आता है। इसलिए भी नजरंदाज हो गया। क्षमा सहित- उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
सवैया पर बढ़िया प्रयास हुआ है, आपकी रचना के बहाने जो चर्चा हुई है वह बहुत ही काम की है और आँख खोलने वाली है, बहुत बहुत बधाई केवल जी ।
दुर्मिल सवैया पर प्रविष्टि के लिए हार्दिक बधाई आ० केवल प्रसाद जी
प्रिय श्री केवल प्रसाद जी, दुर्मिल सवैया छंद पर बढ़िया प्रयास हुआ है. बधाई
ओ बी ओ महा-उत्सव अंक-३१ में मेरी दूसरी प्रस्तुति
मुक्तामणि छंद ( 13+12) अंत में दो गुरु
(इस विधा में यह मेरा प्रथम प्रयास है)
शोरशराबा बढ़ रहा, धर्म कर्म में माना।
समाज शिष्टाचार का, मद्यपान पैमाना।।
हों प्रतियोगिक खेल या, फिर चुनाव से पंगा।
मादक द्रव्य करा रहे, जीत सुनिश्चित जंगा।।
राजस्व लोभ का लगा, सरकारों को रोगा।
नशा मुक्ति के नाम पर, दो कौड़ी का जोगा।।
तन मन को शोषित करे, पोषित हों हर दोषा।
नशा चित्त कलुषित करे, मन उपजावे रोषा।।
शासन अनुशाशित नहीं, नियम हो रहे भंगा।
शासक मिलकर लूटते, मद्य माफिया संगा।।
व्यसनयुक्त जीवन सदा, लगता नरक समाना।
व्यसनहीन जीवन जियें, तज दुख सब अपमाना ॥
मौलिक व अप्रकाशित
योग करें बस राम जी, बाकी करते योगा,
दवा करो तत्काल जी, रोग न होवे रोगा |
कृपा करो गणनाथ जी, जय जय बाल गणेशा,
सिद्ध हुआ इक बार तो, फिर काहे का दोषा ||
आदरणीय सत्यनारायण शिवराम सिंह जी सादर, मुक्तामणि छंद पर सुन्दर प्रयास, सादर बधाई स्वीकारें.
आदरणीय रक्ताले जी सादर, मुक्तामणि छंद पर मेरा प्रथम प्रयास था अतएव आप द्वारा प्रस्तुत छंद में कुछ पंक्तियों का उदाहरण इस विधा को समझने में निश्चित ही सहायक सिद्ध होंगी. सराहना तथा प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |