For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाच नचाइ रही सबको अरु ,झूठ फरेब लिए बहु रंगे!

प्रेम क पाठ पढ़ाइ सबै फिर, भाग गयी वह दूसर संगे !!
रूप बिगाड़ फिरे मज़नू बन ,लागत हो जइसे भिखमंगे !
आपन बाल उखाड़ रहे अब ,आवत देखि दया अधनंगे!!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 785

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on June 6, 2013 at 9:12am

हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी ///ऐसे ही स्नेह बनाए रखे ////सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 6, 2013 at 9:00am

भाई राम शिरोमणि जी सुन्दर हास्य का पुट लिए यह मत्तगयन्द सवैया सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 3:45pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी ///आपको हँसाने में सफल तो लिखना सफल ///सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 31, 2013 at 3:39pm

हा हा हा हा.. इस मत्तगयंद पर हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई.. .

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 1:34pm

हा हा हा नहीं आदरणीया कुंती जी ऐसी कोई समस्या नहीं है !!हार्दिक आभार

Comment by coontee mukerji on May 31, 2013 at 1:27pm

भैया , मजनू का आपबीती है......../ बेचारा मजनू . का करें ......./ कुंती .

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 12:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई श्याम  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 12:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई अमन जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 12:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई केवल जी //सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 30, 2013 at 9:30pm

आ0 राम शिरोमणि भाई जी,  हा...हा..हहह..! हास्य-व्यंग्य का सुन्दर पुट। हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
9 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"किस को बताऊँ दोस्त  मैं क्या याद आ गया ये   ज़िन्दगी  फ़ज़ूल …"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service