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Jordar Opening !
नवीन भैया बहुत खूबसूरत, मुहब्बत के बारे में इतनी सारी बातें हैं इस ग़ज़ल में कि कोई भी लव गुरु बन सकता है.
ख़ुमारी है मय की गुलों की नज़ाकत
ख़ुदा की है ये दस्तकारी मोहोब्बत ।१।
लगे कोयले सा खदानों में हीरा
बना देती है नीच नीचों की सोहबत ।२।
तुझे याद करता है जब मन का सागर
सुनामी है उठती मचाती कयामत ।३।
लिखा दूसरों का जो पढ़ते हैं भाषण
वही लिख रहे हैं गरीबों की किस्मत ।४।
डकैती घोटाले क़तल तस्कारी सब
गई इनकी बन आज लॉकर सियासत ।५।
सँवारूँ मैं कैसे नहीं रूह दिखती
मुझे आइने से है इतनी शिकायत ।६।
न ही कौम पर दो न ही दो ख़ुदा पे
जो देनी ही है देश पर दो शहादत ।७।
करो चाहे जो भी करो पर लगन से
है ऐसे भी होती ख़ुदा की इबादत ।८।
नहीं हाथियों पर जो रक्खोगे अंकुश
चमन नष्ट होगा मरेगा महावत ।९।
न जाने वो बुत थे या थे अंधे बहरे
मरा न्याय जब भी भरी थी अदालत ।१०।
न समझे तु प्रेमी तो पागल समझ ले
है जलना शमाँ पे पतंगों की आदत ।११।
मैं जन्मों से बैठा तेरे दिल के बाहर
कभी तो तु देगी मुझे भी इज़ाजत ।१२।
नहीं झूठ का मोल कौड़ी भी लेकिन
लगाता हमेशा यही सच की कीमत ।१३।
मिलेगी लुटेगी न जाने कहाँ कब
सदा से रही बेवफा ही ये दौलत ।१४।
नहीं चाहता मैं के तोड़ूँ सितारे
लिखूँ सच मुझे दे तु इतनी ही हिम्मत ।१५।
ग़ज़ल में तेरा हुस्न भर भी अगर दूँ
मैं लाऊँ कहाँ से ख़ुदा की नफ़ासत ।१६।
बरफ़ के बने लोग मिलने लगे तो
नहीं रह गई और उठने की हसरत ।१७।
/न समझे तु प्रेमी तो पागल समझ ले
है जलना शमाँ पे पतंगों की आदत/
इस ख़याल को सलाम. बेहतरीन ग़ज़ल बनी है धर्मेन्द्र जी. दाद कबूल करें.
धन्यवाद ताहिर भाई
जय हो तिवारी जी, बहुत बहुत धन्यवाद
अब क्या कहें नवीन भाई, आपने तो पत्थर को ख़ुदा बना दिया। हौसला अफ़जाई का शुक्रिया।
क्या बात एक से बढ़कर एक शेर और वो भी इतने !! खूबसूरत गज़ल कांग्रेट्स !!!
धन्यवाद अरुन जी। आभारी हूँ।
नहीं चाहता मैं के तोड़ूँ सितारे
लिखूँ सच मुझे दे तु इतनी ही हिम्मत...बहुत खूबसूरती से अपने दिल की बात कही आपने ...
धन्यवाद अनिता जी।
सँवारूँ मैं कैसे नहीं रूह दिखती मुझे आइने से है इतनी शिकायत ...
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