For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझसे मेरी हयात ऐसी दिल्लगी करे
मंजिल का मेरी फैसला आवारगी करे

तुझसे भी हैं ज़रूरी दुनिया में और काम
सब को भुला के कौन तेरी बंदगी करे

बेपीर बेमुरव्वत मुझसे न पूंछ कुछ भी
मेरा बयान-ए-हाल ये बेचारगी करे

मुद्दत से थोड़े ख्वाब सहेजे हैं आँख में
की इंतज़ार-ए-आब जैसे तिश्नगी करे

हर रोज सबसे छुप कर किसकी हैं ये दुआएं
शामों में आफताब सी ताबिन्दगी करे

रोऊँ तो ये हंसाए, हँसता हूँ तो रुलाए
मुझको यूँ परेशान मेरी जिंदगी करे

हैं गुम कहाँ उजाले खुशियों के संग बोलो
“ऋषि” से यही सवाल घर की तीरगी करे

अनुराग सिंह “ऋषी”
29/06/2013

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 752

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 29, 2013 at 7:10am
आभार आपका Shashi Vivek जी
सादर
Comment by Shashi Vivek on July 24, 2013 at 8:24am

Beautiful.

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:26am

आदरणीय अरुन जी मै सच कहूँ तो ग़ज़लों के अरूज़ का बहुत ज्यादा ज्ञान नही है हमें महज गुनगुनाने की आदत है क्लिष्ठ तकनीकी ज्ञान के लिए ही यहाँ प्रवेश लिया है आप सभी के सानिध्य से मुझ जैसे अज्ञानी को भी कुछ अंश ज्ञान प्राप्त होगा ऐसा मेरा विश्वास है
साथ ही आप से एक निवेदन है बहर गिनने के कुछ उसूल मालूम है पर पूर्णतयः तकतीअ नही कर पाता यदि आप मुझे सिखाने की कृपा करें तो आभार होगा और मेरा सौभाग्य भी
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:18am

डॉ बब्बन जी आपको भी नमन मेरा एवं आभार
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:18am

आदरणीय जितेन्द्र सर , विजय मिश्र जी , कुंती मुखर्जी जी आप सभी को तहेदिल से शुक्रिया एवं प्रणाम निवेदित है स्नेह बनाये रखें
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:16am

आदरणीय बसंत नेमा जी , श्याम नारायण जी ह्रदय से आभार आपका सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 4:20pm

आदरणीय अनुराग भाई कुछ अधिक कहने से पहले बहर जानना चाहूँगा कृपया अवगत करायें अधिक ज्ञान नहीं है. निम्नांकित शेर ने दिल को छू लिया इस हेतु बधाई स्वीकारें.

रोऊँ तो ये हंसाए, हँसता हूँ तो रुलाए
मुझको यूँ परेशान मेरी जिंदगी करे .... लाजवाब शे'र

CTRL + Q to Enable/Disable GoPhoto.it
CTRL + Q to Enable/Disable GoPhoto.it
Comment by Dr Babban Jee on June 30, 2013 at 12:20am

Congratulations Anurag Ji for this fine creation.

Comment by coontee mukerji on June 29, 2013 at 6:13pm

रोऊँ तो ये हंसाए, हँसता हूँ तो रुलाए
मुझको यूँ परेशान मेरी जिंदगी करे...बहुत खूब.

Comment by विजय मिश्र on June 29, 2013 at 5:54pm
"रोऊँ तो ये हंसाए, हँसता हूँ तो रुलाए
मुझको यूँ परेशान मेरी जिंदगी करे

हैं गुम कहाँ उजाले खुशियों के संग बोलो
“ऋषि” से यही सवाल घर की तीरगी करे " -- ये तो आमओखास की कहानी है और आपके इस प्यारी गज़ल की जुबानी बहुत करीने से निकल कर बाहर आयी है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
27 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
47 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
48 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
58 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज सर, बहुत समय बाद आयोजन के लिए ग़ज़ल कही है। आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service