For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो
मै जहाँ ये भुला दूँगा सुन लो मगर
मुझको दिल में बसाने का वादा करो

मै जो अब तक अकेला हूँ जीता रहा
धुंधले ख्वाबों को आँखों से सीता रहा
ये जो कोरी पड़ी है मेरी जिंदगी
रंग अपना चढ़ाने का वादा करो


मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो


तुम जो रूठी तो तुमको मना लूँगा मै
तुमको पल भर में अपना बना लूँगा मै
मै भी रूठूँगा तुमसे अगर तुम सुनो
तुम भी मुझको मनाने का वादा करो


मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो


जब से देखा है तुमको हूँ खोया हुआ
जागता भी नही और न सोया हुआ
मै ज़माने की नींदें चुरा लूँ अगर
मेरे ख्वाबों में आने का वादा करो


मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो


तेरा हंसना रहूँ तेरा रोना रहूँ
तेरा जगना रहूँ तेरा सोना रहूँ
मै तुम्हारा तुम्हारा रहूँगा सदा
मुझ पे हक ये जताने का वादा करो


मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो

अनुराग सिंह "ऋषी"

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 845

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:15am

आदरणीय लक्ष्मण सर आपने इतना सम्मान दिया मै अभिभूत हूँ पर मै इस योग्य नही दोस्ती बराबरी वालों से होती है अपने से अनुजों से नही अतः मुझ पर तो बस आप स्नेह बनाये रखें आभार होगा आपका
सादर नमन :-)

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:12am

आदरणीय श्याम नारायण सर , बसंत नेमा सर , कुंती मुखर्जी जी रविकर जी एवं सौरभ पाण्डेय जी आप सभी को ह्रदय से नमन अभिनन्दन वात्सल्य मिलता रहेगा ऐसा विश्वास है
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:10am

आदरणीया गीतिका वेदिका जी , डॉ. प्राची जी आप दोनों को भी मेरा नमन और वंदन आगे भी स्नेह बनाये रखें आप सभी से ही सीखना है
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 10, 2013 at 8:06am

सर्वप्रथम तो आप सभी सम्मानित जनो से क्षमा प्रार्थी हूँ मंच पर यथोचित समय ना दे पाने के कारण चूंकि मै विज्ञान का शोध छात्र हूँ अतएव कभी कभी व्यस्तता बढ़ जाती है और मुझे आशा है आप सभी अपने अनुज को क्षमा प्रदान करेंगे :-)

आदरणीय केवल प्रसाद जी , जितेन्द्र जी, अमन कुमार जी ,अरुन कुमार अनंत जी आप सभी के स्नेह के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ साथ ही आगे भी ऐसा स्नेह प्रदान करने की विनती भी करता हूँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 27, 2013 at 11:03am

बहुत सुन्दर गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री अनुराज सीशी जी -

मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए

मेरे साथ दोस्ती का वादा करो 

और खड़ा हु मै स्नेह सहयोग के लिए 

आओ साथ निभाने का वादा करो 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 6:38pm

शिल्प और कथ्य से उन्नत इस गीत के लिए हार्दिक बधाई, अनुराग ऋषि जी.

Comment by रविकर on June 26, 2013 at 11:27am

बढ़िया उदगार -
शुभकामनायें आदरणीय-


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 25, 2013 at 8:26pm

प्रेम पगे सुकोमल भावों की अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई आ० अनुराग जी 

Comment by coontee mukerji on June 25, 2013 at 5:01pm

बहुत सुंदर प्रेमगीत .

Comment by बसंत नेमा on June 25, 2013 at 3:36pm

बहुत सुन्दर गीत।  हार्दिक बधाई .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service