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वाह क्या ग़ज़ल है..!
मज़ा आ गया..!
बधाई आपको
शुक्रिया भास्कर अग्रवाल भाई।
क्या बात है वाह !!
सारे शे'र खुबसूरत , समंदर को धमकाना , तोडने की कोशिश बढ़िया लगा , बेहतरीन अभिव्यक्ति |
शुक्रिया
बहुत सुन्दर अशआर, अर्विन्द जी मुबारकबाद के मुस्तहक़ हैं।
बहुत बहुत धन्यवाद
वन्दे मातरम अरविन्द भाई जी,
बहुत सुंदर कुछ अलग सी, सुंदर ख्यालात से परीपूर्ण बेहतरीन गजल
बहुत बहुत धन्यवाद
गुलों में भरी है जहां की नजाकत,
ख़ुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
//बहुत खूब अरविन्द चौधरी जी !//
सभी एक जैसे ख़ुदा की नज़र में,
बड़ा हो कि छोटा,न कोई हिमायत
//शाश्वत सत्य //
कई कारवाँ गुम हुए है यहाँ से
जगत ये नहीं है किसीकी अमानत
//वाह वाह वाह //
चमन रास आया न खुशबू गुलों की
ख़ुदा से कभी की न हमने शिकायत
//बड़ा प्यारा ख्याल है !//
लगी प्यास मुझको,बुझा दे ख़ुदाया
करो आज नाचीज़ पर तुम इनायत
//सादा बयानी का बेहतरीन नमूना है ये शेअर !//
मज़ा शेर का तो तभी खूब आए,
अगर काफ़िया साथ लाए अलामत
//आए हाय हाय हाय !!!! ये हुई न उस्तादाना बात !!! बात बात में तालिब-इल्म-ए-ग़ज़ल के लिए कितना बड़ा सबक दे दिया इस शेअर के माध्यम से - आफरीन अफरीन !//
योगराज प्रभाकर जी,
...विस्तृत अभिप्राय के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिल से....
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