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रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड ,
बनते और टूटते रिकॉर्ड,
बहुत खूब आचार्य जी, यह OBO एक्सप्रेस रफ़्तार पकड़ लिया है , बेहतरीन और अभिनव प्रयोग | बधाई आचार्य जी |
दिलों में सदा इसकी चलती हुक़ूमत |
खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत||
मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत ||
नही हुक्मरानों को क्यूँ शर्म आती|
सरेआम लुटती है बहनों की अस्मत||
दबे पांव लूटा जिन्होने वतन को|
सरेआम खुल के रही उन की कुलफत||
क्यूँ टकराते हो जात मज़हब पे भाई |
बिना बात की पाल ली है अदावत ||
सितारों को देखो हैं लाखों करोड़ों |
कभी ना झगड़ते लो इनसे नसीहत ||
हैं चेहरे तो उजले मगर दिल हैं काले|
अमीरों की यारो, यही है हक़ीकत||
ये आज़ादी जो है शहीदों ने बक्शी |
दिलोजाँ से इसकी करो तुम हिफ़ाज़त||
करो यार तौबा हरिक उस खुशी से|
कि ईमान इन्साँ का हो जिसकी कीमत||
करो शुक्र दिल से पिता मातु का तुम|
तुम्हारी है हस्ती उन्ही की बदौलत ||
बुजुर्गों की इज़्ज़त पे जो वार कर दे|
करो ना कभी कोई ऐसी हिमाकत||
अमन चैन खुशियाँ सदा हो यहाँ पर|
मेरे मुल्क को दाता रखना सलामत||
नवीन भाई साब सब आपकी सोहबत का असर है| हौसला अफज़ाई के लिए धन्यवाद|
Mitra Shekhar Bahut hi badhiya gajal hain. AAp to chupe rustam nikale vakai main adbhud
मित्र मधुरम! धन्यवाद |
VAH SEKHER BHIYA BAHUT KUB LIKHA HAI AAPNE
अरविंद जी हम को आपकी रचना का भी इंतेज़ार है | सादर
बड़े सुन्दर ख्यालात हैं आपके शेखर जी...
बड़ी सुन्दर है ये ग़ज़ल ...बधाई
भास्कर भाई धन्यवाद! ख्यालों की सुंदरता एक सुंदर ख्याल वाला ही पहचान सकता है|
शेखर जी ... लाजवाब शेर हैं सभी ... आनद आ गया ...
Bahut bahut Shukriya Digamber ji ! Bas ek choti si koshish hai. Protsahan ke liye Aabhar.
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